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लॉकडाउन में बेजुबानों के निवाले पर संकट, कचरा खाकर मिटा रहे भूख - stray animals not getting food

लॉकडाउन में जहां इंसानों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं बेजुबान जानवर भी परेशान हैं. यूपी के हरदोई जिले में इन बेजुबानों के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किये गए हैं और न ही इनको पर्याप्त भोजन ही मिल पा रहा है, जिस कारण ये कचरा खाकर अपना पेट भर रहे हैं.

लॉकडाउन में बेजुबानों के निवाले पर संकट
लॉकडाउन में बेजुबानों के निवाले पर संकट

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Published : Apr 12, 2020, 1:08 PM IST

हरदोई: कोरोना वायरस से बचाव के लिए देशव्यापी लॉकडाउन जितना इंसानों को परेशान कर रहा है, उतना ही बेजुबना जानवरों को भी. बेजुबान जानवरों को घर के बाहर, होटल या दुकानों के बाहर कुछ खाने को मिल जाता था, जिससे वह अपनी भूख मिटाते थे, लेकिन इस बंदी ने उनके निवाले पर संकट खड़ा कर दिया है. सड़क-गलियों में घूमने वाले आवारा जानवर भूख-प्यास से परेशान होकर कचरा खाने को मजबूर हैं.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

बता दें कि प्रदेश भर में शासन व जिला प्रशासन लोगों की सहायता करने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन हजारों बेजुबान जानवर इस लॉकडाउन की मार जरूर झेल रहे हैं. कुछ यही हाल हरदोई जिले में भी बेजुबान जानवरों का है. इनके खाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई खास इंतजाम नहीं किये गए हैं, जिस कारण इनको पर्याप्त चारा नहीं मिल पा रहा है. अगर आलम यही रहा तो ये बेजुबान कोरोना से नहीं बल्कि भूख के कारण काल के गाल में जरूर समा जाएंगे.

जिले में लॉकडाउन के बाद से इन आवारा जानवरों के चारे पर अकाल सा छा गया है, जिस कारण ये बेचारे कूड़ा-कचरा खाकर अपना पेट भर रहे हैं. हालांकि जिले की कुछ समाजसेवी संस्थाएं व समाजसेवी इनके लिए मसीह बनकर सामने आ रहे हैं और इनके लिए चारे आदि का प्रबंध कर रहे हैं, लेकिन जिले में मौजूद हजारों आवारा पशुओं तक इन समाजसेवियों की न ही तो पहुंच है और न ही इनके पास इतने संसाधन व बजट है. फिर भी जिले के ही एक समाज सेवी प्रशांत गुप्ता शहर में मौजूद इन आवारा जानवरों को रोजाना चारा उपलब्ध कराते हैं.

मेरी जिला प्रशासन से ये मांग है कि प्रशासन बेजुबान जानवरों की सहायता करे, जिससे कि इन बेजुबानों को भर पेट भोजन उपलब्ध कराया जा सके.
-प्रशांत गुप्ता, समाजसेवी

ऐसे पशु-पक्षियों के लिए एक अलग कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जहां ऐसे बेजुबानों के बारे में लोग अवगत करा कर उनका कल्याण कर सकते हैं.
-पुलकित खरे, जिलाधिकारी

बता दें कि जिम्मेदार अफसरों ने जानवरों की सहायता करने के लिए एक अलग कंट्रोल रूम की स्थापना तो जरूर कर दी है, लेकिन इस कंट्रोल रूम का कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है. लॉकडाउन से आज जिले के हजारों जानवर भुखमरी की कगार पर आ गए हैं.

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