हरदोई: जिला कारागार हमेशा से ही अपने सराहनीय कार्यों और गतिविधियों को लेकर चर्चाओं में रहता है. प्रदेश में अपनी एक अलग ही जगह बनाए हुए है. वहीं अब सरकार ने एक अनूठी पहल की है. सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने को लेकर जिला कारागार ने सभी को पीछे छोड़ दिया है.
कैदियों ने बनाए मिट्टी से बने उत्पाद. जिले में प्लास्टिक के यूज पर रोक लगाने को लेकर लोगों में जागरूकता का प्रसार करने के लिए एक अलग अंदाज अपनाया जा रहा है. जिला कारागार के कैदी इस दिवाली कड़ी मेहनत और संघर्ष करके मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा देते हुए उनसे उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं. वहीं इन मिट्टी से बने उत्पादों को खुद जेल के जिम्मेदार अधिकारी और बंदीरक्षक सड़को पर स्टॉल लगाकर बेंचने का काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में जेल अधीक्षक ने कुछ खास जानकारियां भी दी.
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चौराहे पर स्टॉल लगा कर मिट्टी के उत्पादों को बेच रहे जिम्मेदार अधिकारी
जिले के नुमाइश चौराहे पर जिला कारागार हरदोई की ओर से एक स्टॉल लगाया गया, जहां लोगों का जमावड़ा देखने को मिला. यह जमावड़ा स्टॉल पर खड़े खाखी वर्दी पहने कई बंदीरक्षक, जेल अधीक्षक और जेलर को देख कर लगा. यह स्टॉल किसी एयर चीज का नहीं बल्कि जेल कैदियों की ओर से बनाए निर्मित मिट्टी की वस्तुओं का था, जिन्हें बेचने के लिए जेल अधीक्षक बृजेश सिंह और जेलर मृत्युंजय पांडे और कई अन्य बंदीरक्षक काम कर रहे थे. वहीं वह लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने के लिए जागरूक कर रहे थे.
प्लास्टिक पर रोक लगाने को लेकर सरकार की नई पहल
सरकार और शासन की ओर से प्लास्टिक का इस्तेमाल न किए जानें के जारी निर्देशों के बाद जेल की यह अनूठी पहल सिर्फ हरदोई ही नहीं बल्कि पूरे प्रदर्श में भी चर्चा का विषय बनी हुई है. इस स्टॉल पर मिट्टी की दियाली के साथ ही दिवाली में पूजी जानें वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी मौजूद हैं, जिन्हें जेल के कैदियों ने अपनी निजी प्रयासों से कड़ी मेहनत के साथ बनाया है. वहीं इस सब के लिए जिला कारागार हरदोई के अधीक्षक बृजेश सिंह का अहम योगदान रहा.
स्वरोजगार देने के लिए कैदियों को किया प्रेरित
वहीं ईटीवी के साथ हुई खास बातचीत में जेल अधीक्षक ने इस पूरे मामले की जानकारी दी. इन मिट्टी के उत्पादों की विशेषताओं और इनसे होने वाले फायदों के बारे में बताया. इसकी शुरुआत हुई जब सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के निर्देश जारी होने के बाद जिला प्रशासन ने जेल से रोजाना 5 सौ कुल्लड़ की मांग की. जिलाधिकारी ने शासन के इस निर्देश पर विभागों में प्लास्टिक के चाय के कप पर रोक लगाई थी, जिसके बाद जेल अधीक्षक ने जेल के कैदियों को एक स्वरोजगार देने के लिए प्रेरित किया.
कैदियों को विभागों के लिए मिट्टी के कप बनाने के लिए कहा गया. इसके बाद फिर दिवाली के पर्व पर दियाली बनाने की रणनीति तैयार की गई, जिसके तहत गुरुवार को यह स्टाल लगाया गया. यहां मिट्टी के दिये, मूर्तियां और कैरी बैग और रुमाल आदि मौजूद थे, जिन्हें खुद जेल के कैदियों की ओर से जेल के अधिकारियों की सहायता से बनाया गया.