हरदोईःबालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जहां केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है तो वहीं दौर में बेटियां किसी भी हाल में बेटों से कम नहीं है. ऐसी ही एक बेटी है समीक्षा भटनागर, जिन्होंने मुफलिसी और गरीबी को पीछे छोड़कर अपनी मेहनत और लगन के दम पर प्रतिभा का लोहा मनवाया. अल्पायु में पिता के गुम हो जाने के बाद मां ने तीन बेटियों का पालन पोषण किया. छोटी बेटी समीक्षा ने नेशनल जूडो चैंपियनशिप में सिल्वर और कांस्य पदक हासिल कर जिले के साथ देश का नाम भी रोशन कर चुकी हैं. शिवशंकर डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा संचालित स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल में बालिका दिवस पर नेशनल जूडो चैंपियनशिप विजेता समीक्षा भटनागर को सम्मानित किया गया.
हरदोई शहर में सीतापुर रोड पर स्पोर्ट्स स्टेडियम के पड़ोस में रहने वाले नंदलाल भटनागर और प्रसूनलता की तीन बेटियों में सबसे छोटी बेटी समीक्षा भटनागर ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर सफलता की इबारत लिखी है. समीक्षा बताती है कि जब वह 4 महीने की थी तभी उनके पिता लापता हो गए. ऐसे में उनके परिवार के भरण पोषण और लालन पालन का जिम्मा उनकी मां पर आ गया. मुफलिसी की जंग लड़ रहे परिवार को देख समीक्षा ने ठान लिया कि उसे कुछ कर दिखाना है. मां के सपने को साकार करने के लिए समीक्षा ने स्पोर्ट्स स्टेडियम ज्वाइन किया और जूडो में प्रशिक्षण लेने लगी. धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और उनके खेल में निखार आने लगा. समीक्षा बच्चों को निःशुल्क जूडो सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं. बालिका दिवस पर समीक्षा को सम्मानित किया गया.
जूडो में स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी हैं समीक्षा
समीक्षा भटनागर ने सब जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप 2009 में हिस्सा लिया और इंदौर में स्वर्ण पदक हासिल किया. ऑल इंडिया साईं जुडो टूर्नामेंट 2010 में भी समीक्षा को स्वर्ण पदक से नवाजा गया. इसके बाद जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप 2012 में सिल्वर तथा 2013 और 14 में समीक्षा ने कांस्य पदक हासिल किया. इसके अलावा समीक्षा तीन बार सीनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं और 5 बार ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में भी जूडो प्रतियोगिता में प्रतिभा कर चुकी हैं.
बेटियों के लिए बनी नजीर
समीक्षा बताती हैं कि जब वह छोटी थीं तो हालात ऐसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने हालात से लड़ना सीखा. उनकी मां और मौसी ने उन्हें सहारा दिया और कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. जिसके चलते आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. समीक्षा का कहना है कि आज के दौर में बेटियां किसी भी तरह से बेटों से कम नहीं है. ऐसे में लोगों को बेटे और बेटी में भेद नहीं करना चाहिए. आज की बेटियां अगर ठान लें तो सब कुछ हासिल कर सकती है. बेटियों को कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए,मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.
छोटी बच्चियों को सिखा रहीं आत्मरक्षा के गुर
समीक्षा रोजाना निशुल्क छोटी बच्चियों को जूडो की ट्रेनिंग दे रही है, ताकि बालिकाओं में आत्मनिर्भरता और हर परिस्थिति से लड़ने के लिए उन्हें सीख मिले साथ शारीरिक रूप से दक्ष हों.