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हरदोई के 150 साल पुराने महावीर झंडा मेला का आयोजन, दूर-दूर से पहुंच रहे लोग - गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल

हरदोई जिले के संडीला तहसील में यहां के स्थानीय लोगों द्वारा 150 वर्षों से महावीर झंडा मेला का आयोजन किया जाता रहा है. इसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं. यह मेला गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल के रूप में जाना जाता है.

गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है हरदोई का सैकड़ों वर्ष पुराना ये मेला.

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Published : Sep 11, 2019, 8:06 AM IST

हरदोई:जिले की संडीला तहसील में करीब 150 वर्षों से झंडा मेले का आयोजन होता रहा है. इसकी शुरुआत अंग्रेजों की हुकूमत को खत्म करने के लिए हुई थी. यह मेला पूरे भारत में अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए मशहूर है, जो अपने आपमें सबसे खास है.

150 साल से होता आ रहा है महावीर झंडा मेले का आयोजन.

इस मेले में सिर्फ हरदोई जिले से ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग शामिल होने आते हैं. करीब 20 से 30 हजार हिन्दू व मुस्लिम लोगों का हुजूम इस मेले में देखने को मिलता है. आज भी ये मेला लोगों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है.

दूर-दूर से मेले में शामिल होने आते हैं लोग

  • संडीला तहसील में सैकड़ों वर्षों से महावीर झंडा मेला का आयोजन यहां के स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता रहा है.
  • इस बार भी इस मेले को एक पर्व की भांति वृहद स्तर पर मनाया जा रहा है.
  • इसमें दूर दूर से हजारों की संख्या में लोग शामिल होने आते हैं.
  • ईटीवी भारत की टीम ने यहां आकर मेले की रौनक का जायजा लिया तो माहौल चौंकाने वाला था.
  • यहां करीब 500 मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हजारों हिंदुओं का स्वागत फूलमालाओं से किया.
  • इस मेले के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व की विशेषताएं यहां के स्थानीय लोगों ने बताईं.

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...इस तरह से हुई मेले की शुरुआत
अंग्रेजी हुकूमत के चरम पर होने की वजह से इस मेले की शुरुआत की गई थी. दरअसल, इसमें आम वाले झंडों के ऊपर भाले को लगाया गया था. भाले का डर दिखा कर इस इलाके से अंग्रेजी हुकूमत को भगाने का लक्ष्य लोगों ने रखा था. इसमें हस्तक्षेप करने वाले व इस मेले को बंद कराने का प्रयास करने वाले अंग्रेजो के ऊपर आपत्ति आई. तब उन्हें समझ आया कि हिन्दू धर्म के इस मेले का महत्व बेहद चमत्कारी है.

इसके बाद अंग्रेज इस स्थान को छोड़कर कहीं और चले गए, तब से इस मेले का आयोजन होता आ रहा है, जिसे 150 वर्ष हो रहा है. आज भी यहां पूरे भारत से लोग आकर मेले में शामिल होते हैं.

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वहीं कौमी एकता का प्रतीक यह मेला हजारों हिन्दू व मुसलमानों भाइयों की मौजूदगी से गुलजार रहता है. सबसे खास बात यह है कि अपने त्योहारों को मनाने में भी इन दोनों समुदायों के लोग अपनी-अपनी सहभागिता बराबरी से निभाते हैं.

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