हरदोई: जिले में मौजूद सांडी पक्षी विहार की स्थापना सन 1990 में हुई थी. हालांकि यहां मौजूद दहर झील करीब 50 वर्ष पुरानी है. इस पक्षी विहार का क्षेत्रफल 376 हेक्टेयर का है. यहां हर वर्ष ठंड के मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी मेहमान शिरकत करते हैं. भरतरी व विदेशी मिलाकर यहां आने वाले पक्षियों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. इतना ही नहीं इस दुर्लभ नजारे को देखने के लिए यहां दूर से पर्यटकों का आना होता है. हजारों प्रजातियों के लाखों पक्षियों के नजारे को देख कर लोगों को जो सुकून के पल हासिल होते हैं, उसका अनुमान लगाना लगभग असंभव है.
पक्षी विहार का महत्त्व
प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 150 किलोमीटर और हरदोई जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांडी पक्षी विहार जिले का सबसे पुराना व आकर्षक पर्यटन स्थल है. यहां मौजूद झील को दहर झील के नाम से जाना जाता है. इसका क्षेत्रफल तकरीबन 376 हेक्टेयर है. वहीं इसके इर्द-गिर्द बने बंधे यानि कि ट्रैक की लंबाई करीब 7.68 किलोमीटर है. इस पक्षी विहार में हर वर्ष ठंड के मौसम में करीब 76 हजार माइग्रेटिंग पक्षी देखने को मिलते हैं. साइबेरिया, उत्तरी यूरोप, चाइना और मंगोलिया आदि देशों में अधिक ठंड के कारण बर्फ जम जाती है. तब यह विदेशी मेहमान यहां ठंड के मौसम में आते हैं और कुछ महीनों तक यहीं प्रवास करते हैं. वहीं भारत व अन्य देशों के पक्षियों को मिलाकर यहां लगभग 1 लाख से ऊपर की संख्या में हजारों प्रजातियों के पक्षियों का दुर्लभ नजारा लिया जा सकता है. इन पक्षियों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं.
10 नए वेटलैंड में शामिल सांडी पक्षी विहार
1971 में रामसर में संयुक्त राष्ट्र और भारत के बीच हुए समझौते में वेटलैंड्स को संरक्षित करने पर जोर दिया गया था. इसके बाद रामसर में 27 वेटलैंड्स संरक्षित किये गए थे. हाल ही में सांडी पक्षी विहार को भी 10 अन्य वेटलैंड में शामिल किया गया. इसके बाद रामसर के तहत आने वाले वेटलैंड की संख्या 37 हो गयी है. सांडी के पक्षी विहार को मिली इस उपलब्धि के बाद अब जिले का यह पर्यटन स्थल विश्व पर्यटन के नक्शे पर दिखाई देने लगा है. इससे न सिर्फ यहां पर मौजूद झील को संरक्षण मिलेगा, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा और पक्षियों की संख्या भी भविष्य में बढ़ने लगेगी.