हरदोई: होली के त्योहार से इस तरह जुड़ा है यूपी का राजकीय फूल
होली पर रंगों का इस्तेमाल का चलन बहुत पुराना है. आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग ज्यादा किया जा रहा है लेकिन पूर्व में रंगों को बनाने में फूलों का उपयोग होता था. उत्तर प्रदेश का मौजूदा राजकीय फूल भी इन्हीं फूलों में से एक है. आम लोग होली और इस फूल के जुड़ाव से अनजान हैं.
होली के रंग और टेसू के फूल
हरदोई: होली रंगों का त्योहार है. इस पर्व पर रंगों का विशेष महत्व रहता है. पूर्व में जिन रंगों से होली का पर्व मनाया जाता था, वे रंग मौजूदा राजकीय पुष्प 'पलाश' से तैयार किए जाते थे. हैरानी की बात ये है कि लोगों को इस फूल के बारे और इसे राजकीय पुष्प घोषित किये जाने के पीछे के कारणों की जानकारी नहीं है.
आजकल होली में प्रयोग किए जाने वाले रंग केमिकल से भरपूर होते हैं. इसके बावजूद लोग धड़ल्ले से इनका उपयोग करते हैं. इससे त्वचा व सेहत संबंधी तमाम दिक्कतें हो जाती हैं, लेकिन पूर्व में लोग होली पर टेसू के फूल से बने रंगों का इस्तेमाल करते थे. टेसू यानी पलाश एक हर्बल पुष्प है. हर्बल रंग बनाने में इस फूल का इस्तेमाल जाता था.
इस पुष्प को पानी में खौला कर इसमें से जो रंग निकलता था उसी से होली का त्योहार मनाया जाता था. ऐसा माना जाता था कि इस पुष्प से बने रंग से पूरे वर्ष में हुए त्वचा के संक्रमण दूर हो जाते थे. आज के दौर में इस पुष्प से बने हर्बल रंगों का इस्तेमाल बेहद कम होता है.
पलाश का फूल गर्मी के सीजन में अपने यौवन में होता है. वन विभाग की हरदोई सिटी रेंज के रेंजर ने बताया कि पलाश पुष्प से बने हर्बल रंग सिर्फ त्वचा रोगों को ही नहीं बल्कि शरीर की अन्य बीमारियों को भी रोकने में लाभदायक साबित होते हैं. होली के पर्व से खास ताल्लुक रखने वाला यह राजकीय फूल आज अपनी पहचान खोता नजर आ रहा है.