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सरकारें बदलीं लेकिन नहीं बदली लोहे का आकार बदलने वालों की जिंदगी

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Published : May 15, 2019, 12:03 PM IST

बीते 60 सालों में सरकारें तो कई बदलीं साथ ही योजनाएं भी लागू की गईं, लेकिन उनका लाभ जनता को नहीं मिल सका. वहीं हरदोई जिले के एक गांव से अजीबोगरीब हकीकत सामने आई है. जहां के लोहार बता रहे हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए उनका मूल्य चुकाना पड़ता है.

लोहे का काम करने वालों को नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ.

हरदोई: 'हम बहुत गरीब आदमी हैं. लोहा पीटकर अपना गुजारा कर रहे हैं. इस पेशे में रहते हुए करीब चालीस साल हो गए हैं. किसी भी काम के लिए प्रधान पहले पैसा मांगता है.' ये कहना है एक लोहार का जो हरदोई से करीब 34 किलोमीटर पिहानी के कुल्लही गांव में रहता है.

लोहार अशर्फी लाल कहते हैं कि वो ये काम पिछले चालीस सालों से कर रहे हैं और इसी से उनका घर चलता है. किसी सरकारी योजना का लाभ मिला कि नहीं यह पूछने पर अशर्फी कहते हैं कि सरकार से अब तक कोई लाभ नहीं मिला है. शौचालय के निर्माण के लिए गांव के प्रधान 2 हजार रुपये मांगते हैं.

लोहे का काम करने वालों को नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ.

अशर्फी आगे कहते हैं कि ग्राम प्रधान रुपये तो जमा करा लेते हैं, लेकिन न तो शौचालय का निर्माण कराते हैं और न ही उसके लिए रुपये देते हैं. दरअसल, कुल्लही गांव में सैकड़ों लोहार परिवार रहते हैं और इस गांव में लगभग तीन हजार वोट हैं. इन्हें न तो शौचालय का लाभ मिल सका है और न ही इनके लिए सरकारी आवास का निर्माण कराया गया.

मैं कुल्लही गांव में रहता हूं. मैं लोहे का काम लगभग 40 साल से कर रहा हूं. अभी तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. शौचालय के लिए गांव के प्रधान रुपये की मांग करते हैं. रुपये जमा भी करा लेते हैं तो शौचालय नहीं बनवाते हैं.
-अशर्फी लाल, लोहार

वहीं लोहार राम प्रकाश का कहना है कि वह लोहे का काम लगभग 45 साल से कर रहे हैं. उन्हें अभी तक किसी भी तरह की सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. इसके साथ राम प्रकाश आरोप भी लगाते हैं कि गांव के प्रधान योजना के लिए इन लोगों से रुपये की मांग करते हैं साथ ही किसी भी योजना का लाभ इन्हें अभी तक नहीं दिलाया है.

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