हरदोई: जिले में डीजल के बढ़ते दामों की मार सबसे ज्यादा किसानों के ऊपर पड़ रही है. जिले में मौजूद करीब 80 फीसदी किसानों ने सरकार से डीजल के दामों में हुई वृद्धि को वापस लेने की मांग की है. किसानों का कहना है कि पिछले 20 दिनों में डीजल के बढ़ते दामों से अब प्रति बीघे फसल की बुआई व रुपाई करने में आने वाला खर्च 4 सौ रुपये तक बढ़ गया है. अगर इसी तरह डीजल के दाम बढ़ते रहे तो किसानों को तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. उनका कहना है कि आर्थिक रूप से मजबूत लोगों के ऊपर इस सरकारी फरमान का कोई खास असर नहीं पड़ रहा है. इसकी मार सिर्फ गरीब किसान के ऊपर ही पड़ रही है.
जिले में 80 फीसदी हैं किसान
हरदोई जिले में आज भी 80 फीसदी भूमि कृषि पर आधारित है, जिसमें तीन लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में धान व गेहूं की फसल होती है तो 80 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जाती है. शेष एक लाख हेक्टेयर में अन्य फसलों की खेती होती है. 20 दिनों से लगातार डीजल के दामों में हुई वृद्धि का सीधा असर किसानों के ऊपर पड़ा है.
निजी संसाधनों को इस्तेमाल में लाते हैं किसान
जिले के अधिकांश क्षेत्र में सिंचाई के लिए किसान निजी संसाधनों को इस्तेमाल में लाते हैं. डीजल के दामों में वृद्धि होने से फसल उपजने के बाद सिर्फ सिंचाई में ही किसानों को 4 सौ रुपये के अधिक खर्च का बोझ उठाना पड़ रहा है. ऐसे में जिले के 80 फीसदी किसानों ने सरकार से डीजल के दामों में हुई वृद्धि को वापस लेने की मांग की है.
30 फीसदी नलकूप व नहर से होती है सिंचाई
जिले में मात्र 30 फीसदी ही ऐसा कृषि क्षेत्र है, जहां की सिंचाई नलकूप व नहर के जरिये की जाती है. शेष भूमि पर कृषक बारिश समेत अपने निजी संसाधनों को ही इस्तेमाल में लाता है और अपनी फसल की सिंचाई व बुआई करता है.अचानक डीजल के दाम बढ़कर 80 रुपये हो जाने से किसानों की समस्या भी बढ़ गयी है.
प्रति बीघे बढ़ा करीब 400 रुपये का खर्च
जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले के ग्रामीण इलाकों का भ्रमण किया और किसानों से बातचीत की तो उन्होंने कैमरे के सामने आते ही अपना दर्द बयां करना शुरू कर दिया. किसानों के मुताबिक एक बीघा खेत की सिंचाई में औसतन एक घंटे का समय लगता है. गर्मी में बारिश के बाद भी दिन में सात से आठ बार फसल की सिंचाई करनी होती है, जिसके लिए पम्पिंग सेट आदि को इस्तेमाल में लाया जाता है. किसानों ने कहा कि पहले जब डीजल 60 या 62 रुपये में था तो खर्च 5 से 6 सौ का आता था, लेकिन अचानक डीजल के दाम 80 के पार हो जाने से प्रति बीघे सिंचाई का खर्च एक हज़ार से ग्यारह सौ तक का आने लगा है.