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पहले महामारी अब खाद की कालाबाजारी, कैसे दूर होगी किसानों की बदहाली

हरदोई जिले में खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान हैं. सरकारी समितियों में सरकार की ओर से निर्धारित कीमत से अधिक दामों पर खाद बेंची जा रही है. सरकार की तरफ से तय की गई खाद की कीमत 266.50 रुपये का है जबकि समितियां छुट्टे पैसे न होने का बहाना करके इसे 270 रुपये यानि साढ़े तीन रुपये बढ़ाकर बेंच रही हैं.

खाद की कालाबाजारी
खाद की कालाबाजारी

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Published : Sep 10, 2020, 6:43 AM IST

हरदोई:जिले के किसान खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं. जिले के सहकारी समितियों में किसानों को सही मात्रा में खाद नहीं मिल रही है. घंटों लाइन में वक्त बर्बाद करने के बाद उन्हें एक बोरी खाद भी नहीं मिलती है. मजबूरन खाद की जरूरत पूरा करने के लिए किसान प्राइवेट दुकानों का रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें एक बोरी खाद के लिए 133.50 रुपये अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं. किसानों के अनुसार, सहकारी समितियों में एक बोरी खाद की तय कीमत 266.50 रुपये है, जबकि प्राइवेट दुकानदार लगभग 350 से 400 रुपये वसूल रहे हैं.

खाद की कालाबाजारी से किसानों को परेशानी

इस साल अच्छी बारिश होने से किसानों में अच्छी फसल की आस जगी थी. मौसम की अनुकूलता के कारण फसलों की बेहतर सिंचाई तो हो गई, लेकिन अब किसानों को उचित दामों पर खाद व यूरिया की कालाबाजारी ने किसानों की मेहनत में पानी फेर दिया है. किसानों का आरोप है कि खाद की कालाबाजारी कर निर्धारित दाम से अधिक की कीमत पर किसानों को खाद दी जा रही है. जिससे किसान परेशान हैं.

सहकारी समितियों में छुट्टे के बहाने साढ़े तीन रुपये का खेल

जिला प्रशासन के अनुसार, जिले में करीब 200 सहकारी समितियां हैं. जिनमें से 65 समितियां ही सक्रिय हैं. इन समितियों से किसानों को खाद व यूरिया मिलता है. लेकिन इन समितियों पर छुट्टे पैसे के नाम पर किसानों से हर एक बोरी खाद के लिए 3.50 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं. खाद की कीमत 266.50 रुपये है जबकि समितियों में मौजूद कर्मचारी छुट्टे पैसे नहीं होने का बहाना कर 270 रुपये वसूल रहे हैं.

साढ़े तीन रुपये का हिसाब-किताब समझें

एक सहकारी समिति रोजाना औसतन 500 बोरी खाद बेचती है. इस हिसाब से 65 समितियों से औसतन 3,25,00 बोरी खाद की बिक्री होती है. यानी अगर खाद की एक बोरी पर 3.50 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं तो औसतन ये समतियां 1,13,750 रुपये की अतिरिक्त वसूली किसानों से कर रही है. किसानों की दिक्कत यह है कि वह अतिरिक्त 3.5 रुपये तो देने को तैयार हैं, मगर लाइन में घंटों वक्त बर्बाद करने के बाद भी उन्हें जरूरत के हिसाब से खाद नहीं मिलती है.

प्राइवेट दुकान वाले तो 'लूट' ही लेते हैं

सहकारी समितियों से मायूस किसान मजबूरन प्राइवेट दुकानदारों के पास खाद लेने जाते हैं. किसानों का कहना है कि प्राइवेट दुकानदार खुलेआम उनसे एक बोरी खाद में की करीब 350 से 400 रुपये की डिमांड करते हैं. तोलमोल करने पर 10-20 रुपये का डिस्काउंट देते हैं. किसानों के पास ब्लैक में खाद लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है.

किसान खाद के लिए दर दर भटक रहा है. सरकारी समिति में 266.50 रुपये की बोरी 270 रुपये में बेंची जा रही है. वह भी नहीं मिल रही है. प्राइवेट दुकानों में 266 रुपये की बोरी साढ़े तीन सौ से पौने चार सौ रुपये में मिल रही है.

-रामलाल, किसान

क्या कहते हैं जिम्मेदार

खाद की कालाबाजारी के संदर्भ में जब जिले के कृषि अधिकारी उमेश साहू से बात की गई तो उन्होंने इन समस्याओं को जायज मानते हुए की गई कार्रवाईयों का बखान किया. उनका कहना है कि हरदोई जनपद में ऐसी कोई समस्या नहीं है. बारिश के कारण यूरिया की थोड़ी डिमांड बढ़ गई यूरिया की रैक लगातार आती रही जनपद में.

कालाबाजारी को लेकर कई शिकायतें इस महीने मिलीं हैं जिसमें कृषि विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है. प्रदेश में सबसे ज्यादा 7 एफआईआर पिछले 15 दिनों में दर्ज करवाई है. उनमें से 2 लोग अरेस्ट भी हुए हैं. कहीं भी कोई कालाबाजारी की ऐसी समस्या आए तो तुरंत प्रशासन को बताएं. एसडीएम, लेखपाल को इस काम में लगाया जा चुका है. सहकारिता विभाग को बताएं कृषि विभाग को बताएं आपकी समस्या सुनी जाएगी.

-उमेश साहू, जिला कृषि अधिकारी

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