हरदोई:जिले के किसान खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं. जिले के सहकारी समितियों में किसानों को सही मात्रा में खाद नहीं मिल रही है. घंटों लाइन में वक्त बर्बाद करने के बाद उन्हें एक बोरी खाद भी नहीं मिलती है. मजबूरन खाद की जरूरत पूरा करने के लिए किसान प्राइवेट दुकानों का रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें एक बोरी खाद के लिए 133.50 रुपये अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं. किसानों के अनुसार, सहकारी समितियों में एक बोरी खाद की तय कीमत 266.50 रुपये है, जबकि प्राइवेट दुकानदार लगभग 350 से 400 रुपये वसूल रहे हैं.
इस साल अच्छी बारिश होने से किसानों में अच्छी फसल की आस जगी थी. मौसम की अनुकूलता के कारण फसलों की बेहतर सिंचाई तो हो गई, लेकिन अब किसानों को उचित दामों पर खाद व यूरिया की कालाबाजारी ने किसानों की मेहनत में पानी फेर दिया है. किसानों का आरोप है कि खाद की कालाबाजारी कर निर्धारित दाम से अधिक की कीमत पर किसानों को खाद दी जा रही है. जिससे किसान परेशान हैं.
सहकारी समितियों में छुट्टे के बहाने साढ़े तीन रुपये का खेल
जिला प्रशासन के अनुसार, जिले में करीब 200 सहकारी समितियां हैं. जिनमें से 65 समितियां ही सक्रिय हैं. इन समितियों से किसानों को खाद व यूरिया मिलता है. लेकिन इन समितियों पर छुट्टे पैसे के नाम पर किसानों से हर एक बोरी खाद के लिए 3.50 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं. खाद की कीमत 266.50 रुपये है जबकि समितियों में मौजूद कर्मचारी छुट्टे पैसे नहीं होने का बहाना कर 270 रुपये वसूल रहे हैं.
साढ़े तीन रुपये का हिसाब-किताब समझें
एक सहकारी समिति रोजाना औसतन 500 बोरी खाद बेचती है. इस हिसाब से 65 समितियों से औसतन 3,25,00 बोरी खाद की बिक्री होती है. यानी अगर खाद की एक बोरी पर 3.50 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं तो औसतन ये समतियां 1,13,750 रुपये की अतिरिक्त वसूली किसानों से कर रही है. किसानों की दिक्कत यह है कि वह अतिरिक्त 3.5 रुपये तो देने को तैयार हैं, मगर लाइन में घंटों वक्त बर्बाद करने के बाद भी उन्हें जरूरत के हिसाब से खाद नहीं मिलती है.
प्राइवेट दुकान वाले तो 'लूट' ही लेते हैं