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हरदोईः हादसे के शिकार विद्युत कर्मी ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु - ट्रामा सेंटर लखनऊ

पावर हाउस में संविदा पर लाइनमैन का काम करने वाला युवक काम के दौरान हादसे का शिकार हो गया. दरअसल, विद्युत कर्मियों की लापरवाही के चलते बगैर शटडाउन वापस किए लाइन चालू कर दी गई जिससे विद्युत की चपेट में आने से वह बुरी तरीके से झुलस गया. घायल विद्युत कर्मचारी इलाज न मिलने की वजह से अब राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

हादसे का शिकार विद्युत कर्मी

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Published : Jun 27, 2019, 8:49 AM IST

हरदोई : जिले के कछौना में बिजली हादसे का शिकार हुए एक विद्युत कर्मी ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है. हादसे में अपना पैर गवां बैठे युवक के सामने खाने और इलाज की कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते उसे यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है. इस हालत में अपना सब कुछ गवां बैठे देशराज अब अपना घर पर इलाज करा रहा हैं.

हादसे का शिकार विद्युत कर्मी

ठेकेदार नीरज गुप्ता ने घायल को इलाज कराने की पूरा आश्वासन दिया था. साथ में यह भी कहा था कि विभाग द्वारा कराए गए 5 लाख के बीमे की राशि भी दिलाएंगे. हालांकि अभी देशराज किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई है.

बिजली विभाग की लापरवाही

  • कछौना कोतवाली क्षेत्र का मामला.
  • देशराज स्थानीय पावर हाउस में संविदा पर लाइनमैन का काम करता था.
  • वह खंभे पर चढ़कर हाल्ट सही कर रहा था तभी पावर हाउस में लाइन चालू कर दी गई.
  • जिससे विद्युत की चपेट में आने से वह बुरी तरीके से झुलस गया.
  • घायल अवस्था में उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहां से उसे इलाज के लिए ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर कर दिया गया.

इलाज में अभी तक लगभग 7 लाख रुपए खर्च :

देशराज के अनुसार इलाज में अभी तक लगभग 7 लाख रुपए खर्च हो गया.पैसे की व्यवस्था न होने के कारण उसने अपनी खेती बेचकर इलाज कराया. विभाग द्वारा निरंतर उसे आश्वासन दिया गया कि उसे आर्थिक सहायता दी जाएगी लेकिन अभी तक उसकी कोई सहायता नहीं की गई.

घर में नहीं है कोई कमाने वाला

इतने आश्वासन के बाद अभी तक एक भी पैसा पीड़ित को नहीं मिला है. उसकी पत्नी रीता भी गर्भवती है. घर में कोई कमाने वाला नहीं है ना अब इलाज कराने का पैसा है और न खाने का, जिसके चलते अपनी जिंदगी से मायूस होकर युवक ने आत्महत्या करने के लिए राष्ट्रपति से इजाजत मांगी है. देशराज ने बताया अपनी समस्या को लेकर जिलाधिकारी व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के पास भी गया, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई अब वह जिंदगी से मायूस हो चुका है ऐसी हालत में मौत के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

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