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हरदोई: धोबिया आश्रम को पर्यटन स्थल में विकसित करने के लिए प्रशासन ने शुरू की कवायद

उत्तर प्रदेश के हरदोई में पौराणिक धोबिया आश्रम को एक बेहतर पर्यटन स्थल में विकसित करने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए हरदोई जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य कराना शुरू कर दिया है.

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Published : Aug 9, 2019, 9:49 AM IST

धोबिया आश्रम को पर्यटन स्थल में विकसित


हरदोई: सालों से उपेक्षा का शिकार पौराणिक धोबिया आश्रम को एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. इसके चलते वृहद स्तर पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है. साथ ही प्राकृतिक जलास्रोत को भी संरक्षित किया जा रहा है. ताकि पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो.

धोबिया आश्रम को पर्यटन स्थल में विकसित

वैसे तो धोबिया आश्रम को देखने के लिए सालाना लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. इस धार्मिक स्थल का पौराणिक महत्व भी है. लिहाजा रमणीय स्थल होने के साथ ही यह आस्था का केंद्र भी है. यहां के जलास्रोत आज भी लोगों के लिए रहस्य बने हुए हैं. इनका सौंदर्यीकरण कराने के लिए प्रशासन की ओर से निर्माण कार्य कराया जा रहा है.

धोबिया आश्रम का है आकर्षण का केंद्र-
जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर स्थित ऋषि-मुनियों और साधु संतों की तपस्थली धोबिया आश्रम यानी धौम्य ऋषि का आश्रम का बड़ा ही पौराणिक है. धौम्य ऋषि पांडवों के पुरोहित थे पौराणिक मान्यता है कि यहां पर 84 हजार वैष्णवों ने नैमिषारण्य के आसपास तपस्या की थी. इसकी परिधि में यह आश्रम भी आता है. आश्रम से उत्तर पूर्व दिशा में प्राकृतिक जलस्रोत है जो यहां आने जाने वाले लोगों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है. धोबिया आश्रम से सटा घना जंगल और बहने वाली गोमती नदी यहां के माहौल को काफी सुंदर और दर्शनीय बनाती है. धोबिया आश्रम में सालाना लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. यहां के दर्शनीय और मनोरंजक स्थलों का लुत्फ उठाते हैं. आश्रम की देखरेख करने वाले नेपाली बाबा ने इसी आश्रम में समाधि ले ली थी.



प्राकृतिक जल स्रोत का रहस्य-

इस जल श्रोत का बड़ा ही पुराना महाभारत कालीन रहस्य है. कहा जाता है कि महाभारत के समय दानवीर कर्ण जब अर्जुन के बाण से आहत होकर पृथ्वी पर गिर पड़े और अंतिम सांस ले रहे थे. उसी समय भगवान कृष्ण ने उनकी परीक्षा के लिए एक ब्राह्मण का वेश धारण किया और कर्ण से दान मांगने पहुंच गए. कर्ण अपने दांत से सोना तोड़कर उन्हें दान देते हैं. तब भगवान श्रीकृष्ण सोने को अशुद्ध बता कर लेने से इनकार कर देते हैं. ऐसे में कर्ण ने अपने बाण से पृथ्वी को भेद कर पानी निकाला था. तभी से यह जल स्रोत चल रहा है और आज भी कोई इस के रहस्य को नहीं जान सका है. यहां पर जमीन से निकले इस जलस्रोत से लगातार पानी बहता रहता है जो प्रकृति की अनमोल धरोहर .है।

धोबिया आश्रम को और बेहतर पर्यटन स्थल बनाने के लिए वहां पर विश्रामगृह बनवाया जा रहा है. साथ ही वहां का जो प्राकृतिक जल स्रोत है उसका भी जीर्णोद्धार कराया गया है ताकि यहां पर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो और प्रकृति की इस अनमोल धरोहर का लोग लुत्फ उठा सकें.
पुलकित खरे, जिलाधिकारी

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