हरदोई: अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी एक बड़ी और घातक समस्या है. इस बीमारी से ग्रसित होने वाले मरीजों को खास इलाज की आवश्यकता होती है, जिसमें काफी समय लगता है. जिले में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज करने के साथ ही उनकी देखभाल करने वाले लोगों की भी काउंसलिंग की जाती है. दरअसल, विशेषज्ञों का मानना है कि मरीज के साथ ही उनके केयर टेकर को भी एक समय के बाद खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है. इससे कि उनके दिमाग के ऊपर मरीज की गतिविधियों का नकारात्मक प्रभाव न पड़े और वे अवसाद की चपेट में न आने पाएं.
हरदोई: अल्जाइमर के मरीज के साथ उसके केयर टेकर को खास इलाज की होती है जरुरत
यूपी के हरदोई में भूलने की बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज करने के साथ ही उनकी देखभाल करने वाले लोगों की भी काउंसलिंग की जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मरीज के साथ ही उनके केयर टेकर को भी एक समय के बाद खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.
क्या होता है अल्जाइमर
अल्जाइमर एक प्रकार की न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. एक समय के बाद जिस प्रकार मानव शरीर की त्वचा सिकुड़ने लगती है. उसी प्रकार इस बीमारी में दिमाग के टिशू भी सिकुड़ने लगते हैं, जिससे दिमाग में बनने वाले प्रोटीन की प्रक्रिया में गड़बड़ी पैदा होने से व्यक्ति भूलने की बीमारी से ग्रसित हो जाता है. उसे कुछ समय पहले की गतिविधियों का ध्यान नहीं रहता. उसके आस पास का भी उसे कुछ समझ नहीं आता. वैसे तो किसी बात को भूलना या किसी वस्तु को कहीं रख कर भूल जाना आमतौर पर होना लाजमी है. लेकिन समय दर समय उम्र के साथ ये भूलने की समस्या बढ़ जाती है और व्यक्ति इस अल्जाइमर बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं. जिसके बाद उनमें तमाम तरह के लक्षण देखने को मिलते है. अब ये बीमारी बुजुर्गों के साथ ही युवाओं में भी देखने को मिल रही है. अल्जाइमर बीमारी अभी तक 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब 40 व इससे कम उम्र के लोगों में भी ये समस्या देखने को मिल रही है.
केयर टेकर को भी दिया जा रहा ट्रीटमेंट
जिले में मौजूद मानसिक विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि अल्जाइमर से ग्रसित मरीजों को खास देखभाल की जरूरत होती है. इस बीमारी से छुटकारा भी एक लंबे अरसे के इलाज के बाद भी मिल पाता है. तब तक ऐसे मरीजों की देख रेख करना भी बहुत जरूरी होता है. ऐसे मरीजों के केयर टेकर भी एक समय के बाद अवसाद से ग्रसित हो सकते हैं. इसलिए हरदोई में इस प्रकार के मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की भी काउंसलिंग करी जाती है. इसके लिए जागरूकता अभियान व गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को अवगत कराया जाता है, कि वे भी मरीजों के साथ आपातकाल आएं और चिकित्सकों से रूबरू होकर अपना ख्याल रखें. जिससे कि उन्हें मानसिक बीमारी अवसाद से बचाया जा सके और उनको खास परामर्श दी जा सके. वहीं चिकित्सकों ने इस बीमारी के लक्षण उससे बचाव के तरीके व बीमार व्यक्ति के केयर टेकर को क्या इलाज देने की जरूरत होती है. इससे भी अवगत कराया.