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बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ शुरू की किसानी, लिख रहे सफलता की कहानी

हरदोई के अम्मार ने बैंक की नौकरी छोड़कर खेती में हाथ आजमाए. गन्ना बोया और सफल किसान बने. कई बार सम्मानित हुए और दूसरे किसानों को भी आधुनिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं. वे कहते हैं जब नौकरी करता था तो TDS देता था अब सब्सिडी मिलती है. उनकी सफलता की कहानी ETV BHARAT पर उनकी ही जुबानी सुनिए...

किसान अम्मार जैदी
किसान अम्मार जैदी

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Published : Nov 26, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 7:39 PM IST

हरदोई: आज सुनिए ऐसे किसान की कहानी, जिसने एमबीए की डिग्री ली, तमाम बड़ी कंपनियों में काम किया फिर एक बैंक का ब्रांच मैनेजर बना. उसके बाद नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आया, अपने पुरखों की जमीन पर गन्ना उगाने. खेती-किसानी वाला घर था, लेकिन खुद उसने कभी खेती नहीं की थी. लिहाजा मुश्किलें आईं, लेकिन पढ़ाई काम आई. इंटरनेट और सोशल मीडिया पर खूब जानकारी इकट्ठी की फिर जुट गए.

अम्मार कहते हैं जब नौकरी करता था तो TDS देता था अब सब्सिडी मिलती है.

छोड़ दी बैंक की नौकरी

हम बात कर रहे हैं हरदोई के अम्मार की. वे जिले के पिहानी कस्बे के रहने वाले हैं. 34 वर्षीय अम्मार जैदी ने नौ सालों तक कई वित्तीय संस्थानों में नौकरी की. ICICI बैंक में ब्रांच मैनेजर भी बने. लेकिन अम्मार का दिल नहीं लगा और मेट्रो सिटीज छोड़कर वे अपने गांव वापस लौट आये. अम्मार ने 2005 में एमबीए की डिग्री हासिल की थी. 2014 में आईसीआईसीआई बैंक में ब्रांच मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया. अम्मार के फैसले से परिवार वालों को झटका लगा. अम्मार बताते हैं कि यह वह दौर था, जब महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही थीं. उनके HR ने भी उन्हें काफी समझाया, लेकिन फैसला तो हो चुका था. पिता किसान थे ही, बेटे को किसानी सीखनी थी.

सम्मानित भी किए जा चुके हैं अम्मार

अम्मार ने गन्ने की फसल में हाथ आजमाया. मेहनत रंग लाई और वे इलाके में सफल किसान के तौर पर जाने जाने लगे. वे दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने. फिर आसपास के किसान उनसे खेती के गुर सीखने आने लगे. उन्होंने भी किसानों को वैज्ञानिक तौर-तरीकों से खेती के तरीके सिखाने की शुरुआत कर दी. अब तो अम्मार को रेडियो पर भी बुलाया जाता है. इसमें वे किसानों को वैज्ञानिक तौर तरीकों से खेती करने के गुर सिखाते हैं. वे आल इंडिया रेडियो के पैनल से जुड़े हुए हैं. उनकी सफल किसानी के लिए उन्हें देश-प्रदेश स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है. ICAR के शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट की तरफ से देश के 50 प्रतिभावान किसानों को एक सेमिनार के लिए बुलाया गया. इसमें अम्मार भी एक थे. इसके साथ ही अम्मार आईसीएआर के पैनल से भी जुड़ गए हैं.

ऐसे हुई खेती की शुरुआत
अम्मार का कहना है कि उन्हें गन्ने की खेती की बहुत जानकारी नहीं थी, लेकिन गन्ना बोया कैसे जाता है, इससे वे थोड़ा-बहुत अवगत थे. 30 एकड़ की पैतृक खेती अब तक बंटाई पर थी. अम्मार ने इसी पर खेती की शुरुआत की. किसानी के बारे में इंटरनेट पर पढ़ना शुरू किया और जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क साधा. अपने खेत पर नए तरीकों से खेती करना शुरू किया. शुरुआत में गलतियां करते और अपनी ही गलतियों से सीख लेते. अम्मार ने बताया कि अन्य किसान अपने खेतों में दो से ढाई फीट की दूरी पर गन्ने की बुआई करते हैं, लेकिन वे यहां पर गन्नों के बीच की दूरी 5 से 6 फीट की रखते हैं. इसी के साथ सिंगल बड से छह कुंतल बीज में वे एक एकड़ की बुआई करते हैं, जबकि अन्य किसान 25 से 30 कुंतल में बुआई करते हैं. इसी प्रकार के प्रयोगों ने अम्मार को सफलता हासिल कराई.

भविष्य की योजनाएं

आधुनिक खेती करने वाले और इसके लिए दूसरों को प्रशिक्षित करने वाले अम्मार खाद बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. जैविक खाद बनाना और इसके लिए दूसरे किसानों को भी तैयार करना उनकी अगली परियोजना है. वे खेती के क्षेत्र में और बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं. अम्मार कहते हैं जब वे नौकरी करते थे तो TDS देते थे. अब जब वे खेती करते हैं तो सब्सिडी मिलती है.

Last Updated : Nov 26, 2020, 7:39 PM IST

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