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हरदोई में रिश्वतखोरी के मामले में श्रम प्रवर्तन अधिकारी निलंबित

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में श्रम प्रवर्तन अधिकारी की रिश्वतखोरी का वीडियो सामने आने के बाद उनको निलंबित कर दिया गया है. साथ ही उन्हें कानपुर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है. साथ ही विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

श्रम प्रवर्तन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई
श्रम प्रवर्तन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई

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Published : Aug 27, 2020, 4:40 PM IST

हरदोई: जिले में विगत दिनों श्रम प्रवर्तन अधिकारी के रिश्वतखोरी के वीडियो के सामने आने के बाद श्रम प्रवर्तन अधिकारी को निलंबित कर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है. दरअसल, कुछ माह पूर्व श्रम प्रवर्तन अधिकारी की रिश्वतखोरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई थी. जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की जांच कराई थी. जांच में श्रम प्रवर्तन अधिकारी को दोषी पाया गया, जिसके बाद श्रम प्रवर्तन अधिकारी को निलंबित करने के बाद उन्हें कानपुर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

भ्रष्टाचार के मामले में हरदोई के श्रम प्रवर्तन अधिकारी उमेश चंद्र सक्सेना के खिलाफ निलंबन और कानपुर मुख्यालय से अटैच होने की कार्रवाई हुई है. दरअसल, कुछ माह पूर्व सोशल मीडिया पर चंदेल स्वीट हाउस जिंदपीर चौराहा के मालिक अजय सिंह से श्रम प्रवर्तन अधिकारी उमेश चंद्र सक्सेना का रिश्वत मांगने के संबंध में वीडियो वायरल हुआ था. इसकी शिकायत हिमांशु जायसवाल और कई अन्य व्यापारियों ने जिला प्रशासन से की थी. इस मामले में शिकायत कर्ताओं ने श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश से शिकायत की थी कि बाल श्रम अभियान के दौरान उनसे एक लाख रुपये की मांग की गई और दो किस्तों में डरा-धमकाकर उमेश चंद्र सक्सेना ने 70 हजार रुपए ले लिए थे.

शिकायत के बाद व्यापारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इस मामले में जिला प्रशासन ने पूरे मामले की जांच कराई और जांच में दोषी पाए जाने के बाद रिपोर्ट उत्तर प्रदेश श्रम आयुक्त को भेज दी. इसी क्रम में श्रम आयुक्त ने कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन के तहत उक्त कृत्य के लिए उमेश चंद्र सक्सेना को निलंबित कर दिया है. साथ ही उन्हें कानपुर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है.

इस बारे में अपर जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि श्रम प्रवर्तन अधिकारी रहे उमेश चंद्र सक्सेना का एक रिश्वत मांगने का वीडियो वायरल हुआ था. इस मामले में शिकायत की गई थी और उनके वीडियो की जांच कराई गयी, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया. उन्हें दोषी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें कानपुर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है.

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