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शोले फिल्म देखकर नाम रखा "धन्नो", अब उसी की 10 महिने बाद बाजार में कीमत लगाई ढाई लाख - Kartik Purnima Fair

Garhmukteshwar Kartik Purnima Fair : गढ़मुक्तेश्वर के कार्तिक पूर्णिमा मेला में पशुओं का बड़ा बाजार लगता है. इसमें दूर-दूर से पशु व्यापारी और खरीदार आते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 6:57 PM IST

गढ़मुक्तेश्वर के कार्तिक पूर्णिमा मेला के बारे बताते पशु व्यापारी सरदार सिंह.

हापुड़: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा मेला जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर के खादर क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है. तीर्थ नगरी गढ़मुक्तेश्वर के ऐतिहासिक गढ़ गंगा कार्तिक मेले में ही खादर क्षेत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा पशुओं का मेला भी लगता है. इस पशु मेले में आसपास के जनपदों के साथ ही आसपास के राज्यों के पशु व्यापारी भी पहुंचते हैं. यहां पर खच्चर और घोड़े की कीमत लाखों रुपए में होती है.

इस पशु मेले का लंपी वायरस के चलते दो साल बाद आयोजन किया जा रहा है. इस बार भी गंगा मेले में पशु मेले के आयोजन पर संशय जताया जा रहा था. लेकिन लंपी वायरस के चलते पशु मेले पर रोक 31 अक्टूबर तक थी. 31 अक्टूबर के बाद इस अवधि में कोई वृद्धि नहीं हुई थी, जिसको लेकर पशु चिकित्सा अधिकारी ने पशु मेले के लिए हरी झंडी दिखा दी थी.

गढ़ गंगा मेले में गधे, खच्चर और घोड़े खरीदने और बेचने के लिए दूर-दूर से पशु व्यापारी आते हैं. यहां पर घोड़े और खच्चरों की कीमत लाखों रुपए में होती है. कुछ दिन में ही पशु मेले में करोड़ों रुपए का पशुओं की खरीद फरोख्त का कारोबार किया जाता है. गढ़ गंगा मेले में अभी तक करीब 10 से 15 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. पशु मेले में भी लगातार पशु व्यापारियों का आना जारी है.

पशु व्यापारी अपने घोड़े और खच्चरों के बाकायदा अलग-अलग तरह के नाम रखकर उनकी लाखों रुपए कीमत लगाते हैं. पशुओं को खरीदने के लिए भी दूर-दराज से लोग मेले में पहुंचते हैं. पशु मेले में आसपास के जनपदों और आसपास के राज्यों तक से पशु व्यापारी पशुओं की खरीद फरोख्त करने पहुंचते हैं. रोजाना लाखों रुपए के पशुओं की खरीद फरोख्त का कारोबार होता है और पूरे मेले के दौरान यह कारोबार करोड़ों रुपए तक पहुंच जाता है.

पशु मेले में व्यापारी घोड़े और खच्चर की नई-नई नस्लों को लेकर आते हैं. पशु व्यापारी बाकायदा अपने घोड़े और खच्चरों के नाम फिल्मों के आधार पर रखते हैं. कुछ पशु व्यापारियों ने अपने घोड़े के नाम बादल, सूर्या और धन्नो रखा है. इन सबकी कीमत भी लाखों रुपए में होती है. बुलंदशहर से आए पशु व्यापारी सरदार सिंह 10 महीने की एक घोड़ी को लेकर बिक्री के लिए आए हैं, जिसका नाम उन्होंने धन्नो रखा है. उसकी कीमत ढाई लाख रुपये रखी गई है.

पशु व्यापारी सरदार सिंह ने बताया कि उन्होंने शोले फिल्म देखी थी. शोले फिल्म देखकर उन्हें बसंती और धन्नो नाम बहुत पसंद आए. शोले फिल्म देखकर ही उन्होंने इस 10 महीने की घोड़ी का नाम धन्नो रखा है. धन्नो का पूरा परिवार है. उन्होंने बताया कि यह पशुओं का सबसे बड़ा मेला है. उनका कहना है कि वह बचपन से इस पशु मेले में आ रहे हैं.

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