बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाया गया. हापुड़: थाना हापुड़ देहात क्षेत्र के मोहल्ला फूलगढ़ी में मंगलवार को एक 4 वर्षीय मासूम बच्चा खेलते हुए बोरवेल में गिर गया. सूचना मिलते ही परिवार में हड़कंप मच गया. परिजनों की सूचना मिलते ही डीएम, एसपी सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे. पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बच्चे को निकालने का प्रयास किया. लेकिन करीब 50 फुट गहरे गड्ढे में गिरे हुए बच्चे को निकालना मुश्किल हो गया. इसके बाद गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई. करीब 5 घंटे बाद एनडीआरएफ की टीम ने बच्चे को सकुशल बाहर निकाल लिया है. अधिकारियों का कहना है कि बच्चा स्वस्थ है.
इससे पहले एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर मासूम बच्चे का रेस्क्यू शुरू किया था. लगातार बोरवेल में ऑक्सीजन की सप्लाई दी जा रही थी. वहीं, बच्चे को दूध और पानी की बोतल गड्ढे में फेंकी गई थी. एनडीआरएफ की टीम द्वारा कैमरा लगाकर बच्चे की स्थिति को देखा गया.
बोरवेल में गिरे बच्चे को निकालने जुटी एनडीआरएफ की टीम. बताया जा रहा है कि फूलगढ़ी निवासी मोसिन का पुत्र मावियान जिसकी उम्र करीब 4 वर्ष बताई जा रही है. मावियान के दादा कदीर ने बताया कि उनका पोता सुन नहीं सकता है. वह खेलते समय बोरवेल में गिर गया था. उन्होंने कहा कि पोते के गिरने की जानकारी मिलने पर काम छोड़कर घर पहुंचे. हालांकि इससे पहले ही प्रशासन की टीम पहुंच चुकी थी. बताया जा रहा है कि करीब 35 साल पहले नगर पालिका ने कुआं खोदा था. 10 साल से इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा था. बोरवेल का मुंह खुला हुआ था. जहां बोरवेल है, उसके कमरे का दरवाजा भी टूट चुका था, जिसकी वजह से बच्चा खेलते-खेलते बोरवेल में जा गिरा. एसपी दीपक भूकर ने बताया कि करीब 50 फुट गहरे बोरवेल में गिरे बच्चे को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है, वह स्वस्थ है. फिलहाल बच्चे के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है.
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट दीपक तलवार ने बताया कि 'हापुड़ जिले में बोरवेल में गिरे 4 साल के बच्चे को एनडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाला और बचाना एक कठिन चुनौती थी. लेकिन हमें इस तरह के ऑपरेशन को विशेषज्ञता के साथ करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. मासूम को बचाने के लिए एनडीआरएफ टीम का ऑपरेशन करीब 4 से 5 घंटे चला. हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि बच्चा मूकबधिर था. बच्चा कुछ भी बोल नहीं सकता था. ऐसे हालात में अगर हम बातचीत करते रहते हैं तो आसानी हो जाती है. क्योंकि हम अपनी बात समझा सकते हैं. लेकिन बच्चे के मूकबधिर होने के कारण हमें इसमें कठिनाई का सामना करना पड़ा. गड्ढा करीब 50 से 55 फुट गहरा था. जब मौके पर पहुंचे तो बच्चा एक्टिव था और रिस्पांस कर रहा था .जिस समय हमने बच्चे को बाहर निकाला, उस समय भी बच्चा पूरा रिस्पांस कर रहा था. बच्चे को निकाल कर अस्पताल भिजवाया गया है. अब अस्पताल से ही बच्चे की स्थिति की सही जानकारी हो पाएगी.'
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