हमीरपुर: 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, 'मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है'. जनकवि अदम गोंडवी साहब की लिखी ये पंक्तियां आवारा गोवंशों को नियंत्रित करने का दावा करने वाले प्रशासन की कार्यशैली पर एकदम सटीक उतरती है. एक तरफ किसान भारी मशक्कत से फसल उगाने के बाद उसे बर्बाद होता देखकर कराह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ तारीख पर तारीख गिना रहे हैं.
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प्रशासन के दावे झूठे
पहले 15 अगस्त तक आवारा गोवंशों को अस्थाई गोशालाओं में बंद करने का दावा हुआ था. जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए तारीख को बढ़ाकर 25 अगस्त कर दिया था, लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 40,000 आवारा गोवंश हैं, जिनमें अभी तक 17,459 आवारा गोवंशों को अस्थाई गोशालाओं में बंद किया जा सका है.
आवारा गोवंश बन रहे परेशानी का सबब
खुला घूम रहे आवारा गोवंश किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं. जिम्मेदार अधिकारी अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश में लगे हैं. फिलहाल आवारा गोवंश किसानों के सामने गंभीर संकट बन कर खड़े हुए हैं, जिससे जल्द निजात मिलने कि उम्मीद नहीं नजर आ रही है.
सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड में किसान भारी मशक्कत से फसल उगाते हैं, लेकिन आवारा गोवंशों के झुंड दिन-रात किसानों की फसलों को चट कर जा रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
-रामदुलारे, किसान