हमीरपुर:कोरोना संक्रमण के बाद से जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े सुधार देखने को मिले हैं. साल 2021 का अधिकांश समय कोरोना की दूसरी लहर के नाम रहा.कई लोग कोविड से हार गए तो कई लोगों ने इस महामारी से कड़े सबक सीखे. इस बीच स्वास्थ्य विभाग भी लगातार अपनी क्षमता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दिन-रात एक किए हुए है.
कोरोना की दूसरी लहर के बाद सुधार के साथ आगे बढ़ी स्वास्थ्य सेवाएं
हमीरपुर जिला अस्पताल को मिलाकर अब तक जिले में कुल 5 स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं. कोरोना संक्रमित व्यक्ति की आरटीपीसीआर जांच जिला स्तर पर शुरू हुई और डी डायमर से कोरोना की गंभीरता को मापने के इंतजाम भी किए गए हैं. ब्लड सेपरेटर यूनिट का सिविल वर्क शुरू हो चुका है. इस यूनिट के शुरू हो जाने के बाद एक यूनिट ब्लड से तीन मरीजों की जान बचाई जा सकेगी. यह एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
जिला अस्पताल को मिलाकर अब तक जिले में कुल 5 स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं. कोरोना संक्रमित व्यक्ति की आरटीपीसीआर जांच जिला स्तर पर शुरू हुई और डी डायमर से कोरोना की गंभीरता को मापने के इंतजाम भी किए गए हैं. ब्लड सेपरेटर यूनिट का सिविल वर्क शुरू हो चुका है. इस यूनिट के शुरू हो जाने के बाद एक यूनिट ब्लड से तीन मरीजों की जान बचाई जा सकेगी. यह एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
आईसीयू वार्ड बनने के बाद गंभीर मरीजों को नहीं करना पड़ेगा कानपुर रेफर
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय प्रकाश ने बताया कि सांसद निधि से जिला अस्पताल में आठ बेड का आईसीयू वार्ड बनाया जा रहा है. इससे गंभीर मरीजों को कानपुर रेफर करने की नौबत नहीं आएगी. वार्ड के लिए पर्याप्त स्टाफ का इंतजाम भी किया जा रहा है. नए साल में वार्ड प्रयोग में आ जाएगा. दूसरा बड़ा काम ब्लड सेपरेटर यूनिट की स्थापना है. इससे एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जान बचाई जा सकेगी. एक यूनिट से पीआरबीसी, प्लाज़्मा और प्लेटलेट्स अलग कर ली जाएंगी. अभी तक यह व्यवस्था यहां नहीं थी. इस यूनिट पर सिविल वर्क चल रहा है. अभी तक कोरोना के आरटीपीसीआर सैंपल की जांच कानपुर या लखनऊ में होती थी, लेकिन अब जिला अस्पताल में आरटीपीसीआर लैब स्थापित हो चुकी है, इससे प्रतिदिन 90 सैंपलों की जांच हो जाती है. रिपोर्ट मिलने में भी ज्यादा समय नहीं लगता है. डी डायमर मशीन भी लगी हुई है, जो कि कोरोना संक्रमण की गंभीरता को मापता है. इससे समय रहते मरीज को उच्च चिकित्सा मुहैया हो जाती है. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि 200 एलएमपी क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट अस्पताल में लग चुका है. जिसके माध्यम से 40 बेडों को सीधे ऑक्सीजन मिलेगी. अस्पताल की बेहतर होती स्वास्थ्य सेवाओं के फलस्वरूप इसे वर्ष 2020-21 में कायाकल्प अवार्ड भी मिल चुका है. एक सर्जन डॉ. सिद्धार्थ जैन (एमबीबीएस एमएस),पैथालॉजिस्ट की और तैनाती हुई है. बाल रोग विशेषज्ञ के खाली हुए पदों पर महिला अस्पताल के डॉ. आशुतोष निरंजन से दो घंटे के लिए ओपीडी कराई जा रही है.