हमीरपुरःबुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले के वीर सेनानियों की गौरवगाथा ही अविस्मरणीय है. देश की आजादी की लड़ाई में शामिल सुमेरपुर थानां क्षेत्र के इंगोहठा के एक महानायक की गाथा को देश की आजादी के 75 साल पूरा होने पर लोग याद कर रहे हैं. उन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वोच्च त्याग किया. उन्होंने देश में चल रहे अहिंसात्मक आंदोलनों में गांधी जी के साथ भाग लेकर अपना योगदान दिया था. इसके अलावा उन्होंन राष्ट्रसेवा में आजीवन अविवाहित रहते हुए अपनी सारी पेंशन और जमा पूंजी स्कूलों और आश्रम में दान कर दी थी.
बता दें कि बांदा जिले के गलौली गांव के एक साधारण किसान शिवानंद द्विवेदी के घर जन्मे रामचंद्र द्विवेदी ने देश की आजादी के संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह महात्मा गांधी से प्रेरित होकर 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ जंग में कूदे थे. उन्होंने अंग्रेजों को इतना परेशान किया कि अंग्रेजी सेना को कदम पीछे खींचना मजबूरी बन गया. रामचंद्र द्विवेदी की शिक्षा कानपुर जिले में हुई थी. इस वजह से उन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए कानपुर जनपद को ही चुना था. आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें दो बार अंग्रेजों ने जेल में भी बंद कर दिया था.
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