हमीरपुर: यूपी के बुंदेलखंड के किसानों की माली हालत सुधारने के नाम पर केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर करोड़ों रुपये दिए गए थे. इस पैकेज से कराए गए अधिकांश काम बेमतलब ही साबित हु. इसी पैकेज के तहत किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम दिलाने के लिए करोड़ों की लागत से उपमंडी बनाई गई थी, लेकिन रख रखाव के अभाव में मंडी परिसर में बबूल के पेड़ उग जाने के चलते पूरा मंडी परिसर जंगल मे तब्दील हो गया है.
सरीला तहसील मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर सरीला-बिवांर रोड में स्थित ममना गांव में वर्ष 2012 में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए विशेष बुंदेलखंड पैकेज के तहत ग्रामीण अवस्थापना केंद्र बनाने की आधारशिला रखी गई थी. मार्च 2014 में इसका निर्माण भी पूरा करा दिया गया. इसकी लागत करीब दो करोड़ रुपए से अधिक थी.
इसी प्रकार क्षेत्र के धौहल बुजुर्ग बंडवा व उमरिया गांव में भी मंडी का निर्माण कराया गया था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह रहा कि ये मंडी आज तक चालू नहीं करा सके, जबकि ज्यादातर मंडियो की दुकानें आवंटित कर दी गई हैं. सरकार की मंशा थी कि इस मंडी के खुलने से आसपास इलाकों के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें कम लागत में ही बाजार मिल जाएगा.
मंडी सचिव की लापरवाही से लांखो के उपकरण बर्बाद
मंडी सचिव की लापरवाही के चलते मंडी परिसर में लगे लाखों रुपये के कीमती जनरेटर धर्मकांटा जैसे उपकरण की हालत खस्ताहाल हो गई और मंडी परिसर में लगी कीमती सोलर पैनल चोरी हो गए. मंडी परिसर में बने भवन चारों ओर से बबूल की झाड़ियो से ढक गए. मंडी सचिव की लापरवाही ने इस मंडी को जंगल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और जो जगह बची वहां पर बिडिंग मैटियल और फसल सुखाने के लिए छोड़ दिया. इससे मंडी और भी ज्यादा वीरान हो गई. इस वक्त मंडी परिसर में बबूल आदि की पेड़ के अलावा झाड़ियां उग आई हैं.