हमीरपुरः बांध से पानी छोड़े जाने के बाद जिले में बहने वाली यमुना और बेतवा नदियों में आई बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. ये नदियां खतरे के निशान से लगभग तीन मीटर ऊपर बह रही है. नदियों से आई बाढ़ से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, लेकिन वह भी नाकामयाब साबित हो रहे हैं. जिसकी वजह से ग्रामीण सड़क के किनारे डेरा जमाकर रहने को मजबूर हैं.
बाढ़ से सड़कों पर रहने को मजबूर ग्रामीण. इसे भी पढ़ें-हमीरपुर: यमुना-बेतवा का प्रकोप जारी, बाढ़ प्रभावितों को जिला प्रशासन पहुंचा रहा राहत सामग्री
बाढ़ से लोगों में आक्रोश
बाढ़ में अपना घर खो चुकी रामदुलारी बताती हैं कि नदी के पानी से उनका कच्चा घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है. पूरा परिवार सड़क पर गुजारा करने को मजबूर हैं. साथ ही मवेशियों के खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. जिला प्रशासन से राहत के नाम पर अभी तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है. उनके गांव के ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर गए हैं और नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए वह भी पलायन को मजबूर है.
नाकाम साबित हो रहें राहत शिविर
माताटीला बांध से बेतवा नदी में और कोटा बैराज बांध से यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते यह दोनों नदियां उफान पर हैं. जिससे जिले के निचले इलाकों में भारी तबाही का माहौल है. बाढ़ प्रभावितों के लिए कुछेछा डिग्री कॉलेज में राहत शिविर की स्थापना की गई है. जहां विस्थापित लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए यह राहत शिविर नाकाम साबित हो रहा है.