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हमीरपुर: बारिश से किसानों में जगी अच्छी फसल की उम्मीद, लेकिन सता रहा अन्ना पशुओं का डर - uttar pradesh news

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में कई वर्षों बाद ठीक-ठाक बारिश होने के चलते खेतों में लहलहाती फसल देख किसान गदगद हो रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उन्हें अन्ना जानवरों का डर भी सता रहा है.

अन्ना पशुओं से किसान परेशान.

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Published : Aug 24, 2019, 8:30 AM IST

हमीरपुर: दशकों से दैवीय आपदाओं का सामना करने वाले बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर के किसानों की आंखों में एक नई उम्मीद जगी है. कई वर्षों बाद ठीक-ठाक बारिश होने के चलते खेतों में लहलहाती फसल देख किसान गदगद हो रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उन्हें अन्ना जानवरों का डर भी सता रहा है.

किसानों को उम्मीद है कि अबकी बार उनकी फसल अच्छी होगी. जिससे फसल को अच्छे दामों में बेचकर उनकी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो सकेंगी. लेकिन बेलगाम अन्ना गायों से अपनी फसलें बचाने के लिए उन्हें अभी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि यदि समय रहते अन्ना गायों को नियंत्रित कर दिया गया तो इससे उन्हें बहुत राहत मिलेगी.

अन्ना पशुओं से किसान परेशान.

अन्ना पशुओं से किसान परेशान-

  • करौली तीर गांव के निवासी राहुल बताते हैं कि बीते कई सालों से बादलों की बेरुखी झेलने के बाद इस साल अच्छी बारिश हुई है.
  • बारिश के कारण फसल भी ठीक-ठाक हो रही है, लेकिन उसे अन्ना गायों से बचाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.
  • किसान का कहना है कि हजारों की तादाद में घूम रहे अन्ना गायों के झुंड पूरी की पूरी फसल चट कर जाते हैं.
  • जिला प्रशासन की तरफ से अन्ना गाय को नियंत्रित करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वे नाकाफी हैं.
  • किसानों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
  • मीरापुर निवासी किसान नन्ना कहते हैं कि अपनी फसल को बचाने के लिए वे रात-रात भर खेतों में जागते रहते हैं.
  • उनका कहना है कि इस बार अच्छी बारिश के कारण फसल तो ठीक हुई है बस किसी तरह से अन्ना जानवरों से उनकी फसल बच जाए तो उनके घर में खुशहाली ही खुशहाली होगी.

आंकड़ों के मुताबिक जिले में लगभग 46 हज़ार अन्ना गाय हैं. जिनको नियंत्रित करने के लिए 15 अगस्त तक सभी ग्राम पंचायतों में अस्थाई गोशालाओं का निर्माण करवाकर अन्ना गायों को नियंत्रित करने के आदेश जिला प्रशासन द्वारा दिए गए थे. लेकिन जिला प्रशासन के आदेश महज कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं.

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