लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन ने अब बाघों की फोटो या वीडियो सोशल मीडिया पर लोकेशन समेत पोस्ट करने पर बैन लगा दिया है. अगर किसी सैलानी ने बाघों की लोकेशन सहित फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की, तो सैलानी मुसीबत में भी पड़ सकते हैं. दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि यह कदम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की गाइडलाइन के अनुसार बाघों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है.
देश-विदेश में मशहूर है दुधवा टाइगर रिजर्व
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बसे यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के तराई इलाके में दुधवा टाइगर रिजर्व अपने बाघों के लिए देश-विदेश में मशहूर है. आठ सौ वर्ग किलोमीटर से ज्यादा में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में 100 से ज्यादा बाघों की तादाद है. तराई के जंगल इन बाघ और तेंदुए से आबाद हैं. खास बात यह है कि इन की नई संतति भी यहां खूब फल-फूल रही है, लेकिन इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बसे होने के कारण अक्सर यह टाइगर रिजर्व खतरनाक शिकारियों के मंसूबों के निशाने पर भी रहता है.
यहां पाए जाते हैं दुर्लभ जंगली जानवर
पिछले कुछ सालों में दुधवा टाइगर रिजर्व में सैलानियों की तादाद भी खूब बड़ी है. देशी-विदेशी सैलानी यहां बाघों और प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने के लिए आते हैं. दुधवा में बाघों के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों की भी बड़ी कॉलोनी पाई जाती है. जो असम के बाद शायद देश में पहली कॉलोनी है. पांच प्रकार के हिरण एक साथ और जंगली हाथियों और भालू के झुंड भी यहां खूब दिखाई देते हैं.
सोशल मीडिया से हो सकता है जानवरों को खतरा
पिछले कुछ सालों में सैलानियों की बढ़ी तादाद से अब दुधवा सोशल मीडिया पर भी काफी हिट होने लगा है. अतिउत्साह में सैलानी कभी-कभी सोशल मीडिया पर बाघों की एग्जैक्ट लोकेशन भी डाल देते हैं. दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन का मानना है बाघों की सुरक्षा के लिए यह ठीक नहीं.