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हमीरपुर :कबरई का पत्थर उद्योग ठप, व्यवसायियों और मजदूरों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़ - हमीरपुर में ट्रांसपोर्टरों ने की हड़ताल

यूपी के महोबा जिले का कबरई कस्बा पत्थर उद्योग नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां पर एशिया का सबसे बड़ा पत्थर बाजार है. कबरई कस्बे के आसपास लगभग 350 स्टोन क्रेशर लगे हैं. प्रदेश सरकार की नई खनन नीति से क्रेशर मालिकों और व्यवसायिओं की कमर टूट गई है.

ट्रांसपोर्टरों ने की हड़ताल.

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Published : Aug 20, 2019, 7:10 PM IST

हमीरपुर: खनिज नीति में बदलाव की मांग को लेकर महोबा के क्रेशर व्यापारियों की जारी हड़ताल का असर जिले में भी साफ दिखाई दे रहा है. हमीरपुर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाइवे 34 पर गिट्टी एवं मौरंग लदे पांच से छह हजार ट्रक गुजरते थे लेकिन अब उन ट्रकों के पहिये थम गए हैं. ट्रकों के पहिये थमने से खनिज परिवहन से जुड़े व्यवसायियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके अलावा ड्राइवर, क्लीनर एवं मिस्त्री भी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

क्रेशर व्यापारियों की हड़ताल से मजदूरों पर संकट गहराया.

लाखों मजदूरों पर रोजगार का संकट गहराया

  • हमीरपुर महोबा की सीमा पर बसी पत्थर नगरी कबरई जहां लगभग 350 क्रेशर लगे हैं.
  • ये क्रेशर गिट्टी तैयार कर देश और प्रदेश में सप्लाई करते हैं.
  • खनन नीति के खिलाफ सम्पूर्ण क्रेशर व्यवसायियों ने हड़ताल कर दी है.
  • क्रेशर बंद होने से ट्रांसपोर्टरों के पास अब कोई काम नहीं बचा है.
  • हड़ताल कर रहे ट्रांसपोर्टरों ने अपने ट्रक जगह-जगह खड़े कर दिये हैं.
  • ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से व्यवसाय से जुड़े हजारों लोग भुखमरी की कगार पर आ गये.
  • एशिया की सबसे बड़ी पत्थर मंडी में ताला पड़ जाने से ट्रक व्यवसाय से जुड़े लोगों पर रोजी रोटी का संकट गहरा गया.

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ट्रक चलाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले देव सिंह बताते हैं कि मौरंग खनन पहले ही बंद हो गया था लेकिन वे महोबा से गिट्टी लाकर दूसरे जिलों में बेचकर किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. अब महोबा में क्रेशर व्यापारियों की चल रही हड़ताल से वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.


महोबा में जारी हड़ताल से ट्रकों के पहिए पूरी तरह से थम गए हैं. लोन पर लिए गए ट्रक की मासिक किस्त मुश्किल से अदा कर पा रहे थे लेकिन हड़ताल के चलते मजबूरी में अपने ट्रक खड़े करने पड़ रहे हैं. ऐसे में मासिक किस्त दे पाना संभव नहीं है. ड्राइवर एवं क्लीनर का खर्चा उठाना भी मुश्किल हो रहा है.
प्रीतम सिंह , ट्रक मालिक

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