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हमीरपुर: सीबीआई टीम पहुंची सूचना कार्यालय, विज्ञप्ति प्रकाशन को लेकर अधिकारी से पूछताछ

सपा शासनकाल में हुए अवैध खनन की जांच करते-करते सीबीआई बसपा शासन काल में हुए अवैध खनन मामले तक पहुंच गई है. सीबीआई परत दर परत इसे उखाड़ने में जुटी है. जांच की इसी कड़ी में सीबीआई सूचना विभाग तक जा पहुंची. मंगलवार को सीबीआई की टीम खनिज विभाग के अधिकारियों से पूछताछ करने के बाद सूचना विभाग का रुख किया और अधिकारियों से पूछताछ की.

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अवैध खनन मामले में पूछताछ करती सीबीआई की टीम.

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Published : Dec 4, 2019, 1:35 PM IST

हमीरपुरःअवैध खनन मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम के दायरे में वन विभाग के बाद अब सूचना विभाग भी आ गया है. मंगलवार को सीबीआई की टीम सुबह पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार के पास पहुंची. वहां कुछ देर वार्ता के बाद खनिज कार्यालय में दस्तक दी. यहां खनिज विभाग के अधिकारियों से पूछताछ करने के बाद सीबीआई की टीम ने सूचना विभाग का रुख किया.

सीबीआई जांच के दायरे में सूचना विभाग.

बताया जा रहा है कि जिले में हुए अवैध खनन की जांच में जुटी सीबीआई को वर्ष 2010 में टेंडर प्रक्रिया के दौरान प्रकाशित कराए गए, विज्ञापनों में घपला मिला है. इसे लेकर सीबीआइ ने खनिज विभाग से विज्ञप्ति प्रकाशन के जारी आदेशों का सूचना विभाग से मिलान किया. साथ ही जिला सूचना अधिकारी को देर शाम कैंप कार्यालय बुलवा पूछताछ की.

सपा शासन काल से बसपा शासन काल तक
सपा शासनकाल में हुए अवैध खनन की जांच करते करते सीबीआई बसपा शासन काल में हुए अवैध खनन तक पहुंच गई है. सीबीआई परत दर परत इसे उखाड़ने में जुटी है. वर्ष 2010 में खनिज विभाग द्वारा पट्टा आवंटन को विज्ञप्ति प्रकाशित कराई गई. इसमें सरीला क्षेत्र के जिटकरी दरिया, बेंदा दरिया और बंधौली के 12 खंड शामिल थे. इस संबंध में खनिज विभाग से सीबीआई को जिलाधिकारी के निर्देश पर अधिकारी द्वारा सूचना विभाग को जारी किया गया एक आदेश प्राप्त हुआ.

सूचना विभाग पर जांच की आंच
इसमें सूचना विभाग के नाम टेंडर का प्रचार प्रसार कराने संबंधी आदेश प्रतिलिपि किए गए हैं. इसकी जांच के लिए सीबीआई टीम सूचना कार्यालय पहुंची और अभिलेख खंगाले, लेकिन वह वहां दर्ज नहीं मिला. इसे लेकर सीबीआई ने जिला सूचना अधिकारी को देर शाम कैंप कार्यालय बुलाकर पूछताछ की.

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सूत्रों के अनुसार उक्त विज्ञापन उरई से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र में प्रकाशित कराया गया था. इससे निकाले गए टेंडरों की किसी को जानकारी नहीं हुई और विभाग से सांठ-गांठ रखने वाले ही इसका लाभ उठा सके. हालांकि मामले की पूछताछ को सीबीआई द्वारा तत्कालीन सूचना अधिकारी को नोटिस भेज बुलाने की संभावना जताई जा रही है.

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