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अति पिछडे़ वर्ग को लुभाएंगे बसपा प्रदेश अध्यक्ष, सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को मजबूत बनाने में जुटी पार्टी - यूपी निकाय चुनाव 2023

हमीरपुर में बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल अन्य पिछड़ा वर्ग को एकजुट करने के लिए प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करके चुनाव जीतने की रणनीति बताएंगे.

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल

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Published : May 3, 2023, 6:09 PM IST

हमीरपुर: सोशल इंजीनियरिंग के सहारे निकाय चुनाव जीतने की जुगत में जुटी बसपा पिछड़ों को लुभाने के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंक रही है. गुरुवार को बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल साजातियों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग को एकजुट करने के लिए बसपा प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करके बसपा की रणनीति से सत्ता तक पहुंचने का गुर बताएंगे.

कस्बे में अध्यक्ष पद अनारक्षित है. बसपा ने यहां पर क्षत्रिय नेता जयकरण सिंह पर दांव लगाया है. सपा ने शशिकांत शुक्ला, भाजपा ने सिद्धार्थ सिंह, कांग्रेस ने धीरेंद्र शिवहरे धीरू, आप ने कैलाश सोनी, एआईएमआईएम ने कल्पना वर्मा को मैदान में उतारा है. बसपा ने अनारक्षित सीट पर सवर्ण प्रत्याशी उतारकर सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को मजबूत बनाने की चाल चली है. बसपा को उम्मीद है कि सवर्ण प्रत्याशी के सजातीय मतों के साथ दलित मतदाता जोड़कर मजबूत समीकरण बनाएगा. इस मजबूत समीकरण में अगर पिछड़े वर्ग का साथ मिल जाए तो जीत की राह आसान हो जाएगी.

इसी उम्मीद के तहत बसपा सुप्रीमो ने पिछड़े वर्ग के मतों पर डोरे डालने के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को मैदान में उतारा है. प्रदेश अध्यक्ष गुरुवार 4 मई को कस्बे के बांकी मार्ग के रघुवीर पैलेस प्रांगण में जनसभा को संबोधित करेंगे. बसपा को उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष के दौरे के बाद कस्बे की पिछड़ा वर्ग बसपा से जुड़कर मजबूत समीकरण बना सकता है. कस्बे में पाल समाज का 971 मतदाता हैं. जबकि क्षत्रिय समाज के मतदाताओं की संख्या 2464 है. कस्बे में दलित समाज का मतदाता दस हजार से अधिक है.

अगर यह मतदाता बसपा की ओर आकर्षित होता है, तो बसपा प्रत्याशी की राह काफी हद तक आसान हो सकती है. बसपा प्रदेश अध्यक्ष की सभा को संपन्न कराने के लिए प्रत्याशी ने पूरी ताकत झोंक दी है. इस सभा में बसपा नेता दलित, अति पिछड़ा वर्ग के साथ सामान्य वर्ग के नेताओं को एक मंच में लाकर सोशल इंजीनियरिंग का संदेश देने की जुगत में है. सभा में बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी बड़ी कद्दावर बसपा नेताओं को लाने की रणनीति है. ताकि, सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में किसी की कोर कसर बाकी न रह सके.

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