सामूहिक हत्याकांड के दोषी बीजेपी विधायक को कोर्ट ने सुनाई है उम्र कैद की सजा, जानिए पूरी कहानी - लखनऊ
2019-06-06 19:19:36
हमीरपुर के बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता खत्म
लखनऊः उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुए सामूहिक हत्याकांड के दोषी बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल की विधायकी समाप्त हो गई. मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल वेंकटेश्वर लू ने विधानसभा प्रमुख सचिव और प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखा था. पत्र में अशोक चंदेल की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई थी.
बता दें कि विधायक ने इसी महीने 14 मई को कोर्ट में सरेंडर किया था. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था. इस दौरान मामले के अन्य दोषियों रघुवीर सिंह, नसीम और भान सिंह ने भी समर्पण कर दिया था.
कोर्ट में सरेंडर करते वक्त उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक थे. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ ‘शोड शो’ की तरह कोर्ट में सरेंडर किया था. सरेंडर करने के दौरान विधायक के समर्थकों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई थी. इस मामले में भी 400 अज्ञात समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
जानिए, सामूहिक हत्याकांड की पूरी कहानी
- 26 जनवरी 1997 को हमीरपुर के सुभाष बाजार में शाम के 7:30 बजे के आस पास गोलीबारी में एक ही परिवार के तीन सदस्यों सहित कुल पांच लोगों की हत्या की गई.
- मृतकों में भाजपा नेता राजीव शुक्ला के भाई राकेश शुक्ला, राजेश शुक्ला पुत्रगण भीष्म प्रसाद शुक्ला उर्फ दोस्त लंबरदार, भतीजा अंबुज शुक्ला पुत्र राजेश शुक्ला, निजी गनर वेदप्रकाश नायक और श्रीकांत पांडेय शामिल हैं.
- घटना वाली रात ही अशोक सिंह चंदेल, निजी गनर साहब सिंह, रघुवीर सिंह, इनके पुत्र आशुतोष सिंह उर्फ डब्बू, भान सिंह, प्रदीप सिंह, उत्तम सिंह, श्याम सिंह, रुक्कू, नसीम, झण्डू सिंह और सरकारी गनर समेत 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.
- वर्ष 1998 में अशोक सिंह चंदेल का कोर्ट में सरेंडर. उसी दिन जमानत पर छूटे.
- जमानत देने वाले न्यायाधीश आरबी लाल के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत हुई.
- जांच के बाद आरबी लाल सस्पेंड हुए और उसके बाद बर्खास्तगी भी हुई.
- 1999- हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक के बाद अशोक सिंह चंदेल ने बसपा के टिकट से लोकसभा का चुनाव जीता.
- जुलाई 2002- निचली अदालत से अशोक सिंह चंदेल के ड्राइवर रुक्कू को छोड़कर सभी आरोपी बरी कर दिए गए क्योंकि रुक्कू उस वक्त फरार था. 2003 में रुक्कू ने कोर्ट में सरेंडर किया.
- वर्ष 2002 से मुकदमा हाईकोर्ट इलाहाबाद में विचाराधीन चल रहा था. इस बीच राजीव शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की गुहार लगाई.
- सुप्रीम कोर्ट ने केस की परिस्थितियों को देखते हुए निर्देश दिए कि मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद को प्रार्थना पत्र दें.
- मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर एक विशेष डबल बेंच का गठन हुआ, जिसमें जस्टिस रमेश सिन्हा व डीके सिंह ने मुकदमे सुनवाई की.
- 2007 में अशोक सिंह चंदेल समाजवादी पार्टी के टिकट से हमीरपुर विधान सभा से तीसरी बार विधायक चुने गए.
- 2012 में विधान सभा के चुनाव में अशोक सिंह चंदेल को किसी भी मुख्य पार्टी से टिकट नहीं मिला, जिसके बाद वो पीस पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े और हारे.
- 2017 में अशोक सिंह चंदेल भाजपा में शामिल हुए, पार्टी ने विधान सभा का प्रत्याशी बनाया. जिसमें चंदेल की बड़े अंतर से जीत भी हुई.
- सन 1989 से 2017 तक अशोक सिंह चंदेल चार बार विधायक बने और एक बार सांसद चुने गए. लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में रहते हुए अशोक सिंह चंदेल ने राजनीति की.
- 19 अप्रैल 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बैंच ने विधायक सहित उनके 10 साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.
- 6 मई को विधायक और उनके आठ साथियों के खिलाफ एडीजे कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ.
- 13 मई विधायक ने पांच साथियों के साथ कोर्ट में सरेंडर किया, तीन साथियों की गिरफ्तारी हुई.
- भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई, जिसके बाद हमीरपुर संसदीय सीट एक बार फिर से रिक्त हो गई है.