हमीरपुर: मां शब्द सुनते ही एक ओर जहां जहन में प्रेम और ममता का भाव आता है तो वहीं वो संघर्ष भी नजर आता है जो एक मां अपने परिवार और बच्चों के लिए करती है. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जिसके संघर्ष की कहानी समाज की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल है.
जिले के सरीला तहसील क्षेत्र में स्थित ममना गांव की रहने वाली 65 वर्षीय महिला रामबाई पिछले 30 वर्षों से अपने पति के साथ मिलकर वाहनों के पंक्चर बनाने का काम कर रही हैं. पंक्चर के साथ साथ लोहे के उपकरण में बिल्डिंग का काम भी करती हैं. रामबाई का कहना है कि वह यह काम गृह-गृहस्थी चलाने के लिए करती हैं.
सरीला क्षेत्र की रहने वाली रामबाई की शादी 35 साल पहले ममना गांव के गरीबा से हुई थी. शादी के पांच वर्ष बाद ही गरीबा की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. जिसके बाद रामबाई ने पंक्चर की दुकान की कमान संभाल ली. तीस वर्ष से आजतक ये सिलसिला चला आ रहा है. आज रामबाई ट्रक ट्रैक्टर सहित अन्य वाहनों के पंक्चर बगैर किसी तकनीकी उपकरण के खुद ही बनाती हैं. इतना ही नहीं लोहे की बिल्डिंग के साथ साथ नए नए उपकरण जैसे दरवाजा, जंगला भी बनाती हैं. साथ ही कृषि यंत्रों की टूटफूट को भी रिपेयर करती हैं.