गोरखपुर:योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सदर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में जहां उत्साह का माहौल है तो वहीं, विरोधी दलों खासकर समाजवादी पार्टी अब अपने नफा नुकसान का आंकलन करने में जुट गई है. माना जा रहा है कि योगी के यहां से चुनाव लड़ने से उनकी जीत पक्की ही नहीं, बल्कि मतों का रिकॉर्ड भी बन सकता है. इसके साथ ही आसपास की सीटों पर भी उनकी मौजूदगी का बड़ा असर पड़ेगा. जिन सीटों को सपा जीतने का सपना देख रही थी, अब वहां भी मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद बढ़ गई है. वहीं, अयोध्या के बजाय योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की पार्टी की घोषणा के बाद शहर के पूरे माहौल में चर्चा अब इस बात की हो रही है कि आखिरकार योगी इस सीट से कितने मतों से जीतकर रिकॉर्ड बनाएंगे. योगी की जीत को लेकर कोई शंका यहां इसलिए नहीं बन रही, क्योंकि वो इस क्षेत्र से 5 बार के सांसद और 5 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते जनता के बीच अपनी सक्रियता और संघर्ष की जो मिसाल पेश किए हैं, वो उनकी जीत की राह को आसान बना रही है.
इसके साथ ही कुछ ऐसे समीकरण भी हैं, जिसके बल बूते योगी भी पूरी तरह निश्चित होकर प्रदेश की अन्य सीटों पर प्रचार करेंगे तो समीकरणों को साधने में जुटी उनकी टीम उन्हें जिताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. ईटीवी भारत अपनी इस विश्लेषात्मक रिपोर्ट में उन्ही समीकरणों की चर्चा करने जा रहा है, जिसको योगी आदित्यनाथ वर्षों पहले तैयार कर दिए थे. इसमें समीकरण नंबर एक है- योगी की तत्परता, समीकरण नंबर दो- सक्रियता, समीकरण नंबर तीन- संघर्ष, समीकरण नंबर चार- भाजपा के प्रति समर्पित और हिंदुत्व के लिए उद्वेलित उनके विचार, समीकरण नंबर 5 - खुद की ओर से खड़ा किया गया उनका संगठन 'हिंदू युवा वाहिनी' जो उनके लिए दिन-रात तैयारियों में लगा है.
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वहीं, मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ जो नहीं कर पाए, वो सिर्फ मेट्रो ट्रेन का संचालन रहा. लेकिन इसके अलावा उन्होंने शहर की हर प्रमुख सड़क को टू लेन से फोर लेन में बदल दिया. जल निकासी के लिए बड़े नालों का निर्माण जारी है. बिजली चौबीस घंटे मिल रही है. रामगढ़ ताल को उन्होंने पर्यटन का सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बनाया है. वॉटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं उन्होंने यहां शुरू कराई है. चिड़ियाघर की सौगात उनके दौर में इस शहर को मिला है. हवाई कनेक्टिविटी में तो उन्होंने इस शहर को देश के हर प्रमुख शहर से जोड़ दिया है.
साथ ही एम्स और खाद कारखाने का निर्माण कराकर उन्होंने वो कर दिखाया है जिसकी मांग वर्षों से चली आ रही थी. इंसेफेलाइटिस की महामारी पर उनके कार्यकाल मे लगाम लगी है. इसके अलावा अंडर ग्राउंड बिजली के तार, प्रेक्षागृह, आयुष विश्वविद्यालय और न जाने क्या क्या. अब बात उनके सांसद रहने के दौरान संघर्ष और सक्रियता की करें तो जिले में जहां कहीं दंगा/बवाल हुआ वहां योगी सबसे पहले पहुंचते थे. अधिकारियों को कार्रवाई तक चैन से बैठने नहीं देते थे. किसी व्यापारी का उत्पीड़न, अपहरण उनका निजि मामला बन जाता था.