गोरखपुर:काकोरी बलिदान दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे. यहां के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति पार्क में देश के अब तक के सबसे बड़े ड्रोन शो का आयोजन किया गया, जिसमें सीएम योगी शामिल हुए. इस शो में 750 ड्रोन्स की कलाबाजी देखने को मिली. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज भारत दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में उभरा है. यह हर नागरिक के लिए गौरव का विषय है कि अपना देश 200 वर्षों तक शासन करने वाले ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. उन्होंने कहा कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह क्रांतिकारियों के सपनों के अनुरूप 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' बनाने के लिए पीएम मोदी द्वारा दिलाए गए पंच प्रणों से जुड़कर खुद को तैयार करे.
बलिदान दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम स्वातंत्र्य समर 1857 से लेकर 1947 में देश को आजादी मिलने तक उत्तर प्रदेश का कोई जिला या कस्बा ऐसा नहीं था, जिसने आजादी के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग न लिया हो. उत्तर प्रदेश क्रांति की हर गाथा का गवाह है. 1857 का प्रथम स्वातंत्र्य समर उत्तर प्रदेश की धरती के लाल मंगल पांडेय की हुंकार से बैरकपुर में प्रारंभ हुआ. गोरखपुर में अमर बलिदानी बंधु सिंह ने उसी क्रांति की लौ को आगे बढ़ाया. रानी लक्ष्मीबाई झांसी से तो धन सिंह कोतवाल मेरठ से क्रांति के इस अभियान से जुड़े. 1922 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसानों, मजदूरों, नौजवानों और आम जनता ने चौरी-चौरा की ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान डोहरिया में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ.
क्रांतिकारियों से भयभीत थी ब्रिटिश हुकूमत
सीएम योगी ने कहा कि भारतीय खजाने को बाहर भेज रही ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों ने लखनऊ के काकोरी में अंजाम दिया था. जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी जैसे क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया था. पंडित बिस्मिल को गोरखपुर जेल में रखा गया और 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई. अशफाक, रोशन और लाहिड़ी जी को अयोध्या, प्रयागराज और गोंडा में फांसी दी गई. ब्रिटिश हुकूमत इतनी भयभीत थी कि उसने लाहिड़ी जी को दो दिन पूर्व ही 17 दिसंबर 1927 को फांसी पर लटका दिया. उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों को पकड़ने में ब्रिटिश सरकार ने 10 लाख रुपए खर्च कर दिए. क्रांतिकारियों को मुकदमा पूरा सुने बिना ही फांसी की सजा दे दी गई. चंद्रशेखर आजाद ब्रिटिश हुकूमत के हाथ नहीं आए और उन्होंने स्वयं ही अपनी बलिदान की कथा लिखी. अंततः 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया.
क्रांतिवीरों की प्रेरणा से कार्य कर रही डबल इंजन सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार क्रांतिवीरों की प्रेरणा से कार्य कर रही है. पीएम मोदी के पंच प्रणों में से एक है कि हर भारतीय गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करेगा और विरासत का सम्मान करेगा. इसी प्रेरणा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. गोरखपुर जेल में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का भव्य स्मारक बनाया गया है. गोरखपुर चिड़ियाघर का नाम अमर बलिदानी अशफाक उल्ला खां के नाम पर किया गया है. गोरखपुर में ही ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्र का नाम अमर बलिदानी बंधु सिंह के नाम पर रखा गया है. गोरखपुर के बगल गंज में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का नाम स्वतंत्रता के अमर सेनानी राजा हरिप्रसाद मल्ल के नाम पर रखा गया है.