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World Sleep Day: स्लीप डिसऑर्डर के कारण हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक

शरीर के लिए पर्याप्त नींद न लेना गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. कई बार नींद की लापरवाही आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. नींद के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 'वर्ल्‍ड स्‍लीप डे' (World Sleep Day) के मौके पर डॉक्टर कई ऐसे शोध के बारे में बताते हैं, जिनमें नींद से जुड़ी कुछ आदतें हमें जल्द से जल्द सुधार लेनी चाहिए.

World Sleep Day
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Published : Mar 17, 2023, 12:42 PM IST

नींद के बारे में जानकारी देते डॉक्टर नदीम अर्शद

गोरखपुरः अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा भोजन, योग और व्यायाम जितना जरूरी है. उतना ही जरूरी अच्छी नींद लेना भी है. अच्छी नींद नहीं लेने पर आप कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते है. अगर आपको रात में अच्छी नींद नहीं आती, खर्राटे आते हैं. सुबह उठने पर सिर में दर्द या भारीपन बना रहता है. खाना खाते-खाते सो जाते हैं या गाड़ी चलाते समय झपकी लेते हैं, तो आप स्लीप डिसऑर्डर के शिकार भी हो सकते हैं. इसके लिए आपको डॉक्टर्स से इस बारे में सलाह लेना चाहिए. यह लापरवाही आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. ऐसे विषयों पर 17 मार्च यानी आज 'वर्ल्‍ड स्‍लीप डे' के मौके पर डॉक्टरों द्वारा विशेष तौर पर चर्चा की जाती है. ताकि लोग जागरूक होकर अपने जीवन शैली को बेहतर बनाते हुए, इस समस्या से निजात पा सके.

गौरतलब है कि अच्छी नींद न आने की वजह से गंभीर रोगों की चपेट में आने वालों का परीक्षण करने के बाद वर्ष 2008 में वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी गठित की गई. इसके बाद वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ स्लीप मेडिसिन के सहयोग से पहली बार 'वर्ल्‍ड स्‍लीप डे' के रूप में लोगों के बीच जागरूकता अभियान शुरू किया गया. यह प्रत्येक वर्ष मार्च माह के तीसरे शुक्रवार को मनाया जाता है. इस दिन अनिद्रा के शिकार लोगों को समस्याओं से निजात दिलाने के लिए देश और दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

गोरखपुर के मशहूर डॉक्टर नदीम अर्शद ने ईटीवी भारत से बताया कि हेल्थी नींद से जीवन का स्तर बढ़ जाता है. आदमी यदि अच्छी नींद सोता है, तो उसके शरीर एवं स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक है. तो वहीं बच्चों को पढ़ने और खेलने के लिए बड़ों से ज्यादा नींद की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि कॉमन स्लीप डिसऑर्डर जिसे 'आब्सट्रकटिव स्लीप एन्पिया' कहते हैं. यह पुरुषों में 26 से 34% और स्त्रियों में 17 से 28% पाया जाता है. इसमें पुरुषों की आयु 30 से 70 वर्ष मापी गई है.

डॉ. नदीम ने कहा कि 'वर्ल्ड स्लीप डे' प्रतिवर्ष एक नए स्लोगन के साथ मनाया जाता है. इसमें मौजूदा वर्ष में इसका स्लोगन 'स्लीप इज एसेंशियल फॉर हेल्थ' है. शोध से पता चलता है कि जब आदमी पूर्ण रूप से नींद भर सोता ,है तो आगे चलकर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, वृद्धावस्था के समय में होने वाली बीमारियां जैसे तनाव और अल्जाइमर आदि से बच सकता है. उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया है कि अच्छी नींद लेने वाले के चेहरे पर झुर्रियां कम पड़ती हैं. इसलिए मनुष्य अच्छा दिखने लगता है.

डॉक्टर ने बताया कि स्लीप मेडिसिन फिजिशियन के रूप में उनका लक्ष्य है कि निद्रा और इससे जुड़ी बीमारियों, जैसे मोटापा, खर्राटा, स्लीप एन्पिया, नींद नहीं आना, रात में पैर पटकना, आदि के बारे में जागरूकता पैदा हो और इसका निदान करना है. इसके लिए वह विभिन्न स्तरों पर लोगों को प्रेरित करते रहते हैं. ऐसी समस्या झेलने वालों को चिकित्सीय परामर्श लेनी चाहिए. इलाज भी बहुत महंगा नहीं है. अधिकतम 5 हजार रुपये में मरीज को जांच के बाद समस्या से छुटकारा मिल जाता है.

इसके लिए मरीज को एक रात हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है. इस दौरान उसके हाथ में एक घड़ी बांध दी जाती है और फिर सुबह उसे कंप्यूटर से सेट कर जांच की जाती है. इसमें नींद के टूटने के क्रम की गणना होती है. अगर 1 घंटे में नींद में पांच बार रुकावट आती है, तो वह सामान्य घटनाक्रम माना जाएगा. वहीं 15 से 25 और इससे ऊपर की रुकावट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, जो आगे चलकर ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकती है.

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