गोरखपुर:आज 31 मई को दुनिया भर में "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" ((World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जा रहा है. इस दिन तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूक किया जाता है. मानव जीवन में कैंसर जैसी बीमारी की ताबाही लाने में तंबाकू की भूमिका 90 फीसदी मानी जाती है. हम सभी को पता है कि तंबाकू का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है, फिर भी लोग तंबाकू का सेवन नहीं छोड़ रहे हैं.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्व:मौजूदा आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेहत के साथ अब पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है. प्रतिवर्ष इसकी वजह से करीब 60 करोड़ पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ती है, जो वातावरण के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. दुनिया जहां इसको लेकर चिंता और निवारण में जुटी हैं. वहीं, गोरखपुर का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी इसके निवारण के लिए जागरूकता और उपायों पर समाज के बीच अपनी उपस्थिति को बढ़ाने में जुटा है. आंकड़ों की बात करें तो भारत में लगभग 28 करोड़ वयस्क जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है. वह तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं. अपने देश में सबसे ज्यादा धुआं रहित तंबाकू के उत्पादों में जैसे खैनी, तंबाकू के साथ पान, सुपारी और जर्दा का उपयोग आज सबसे ज्यादा होता है.
धुआं गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक:गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक (Executive Director of Gorakhpur AIIMS) डॉ. सुरेखा किशोर ने ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत की. उन्होंने इस बड़ी समस्या के संबंध में बताया कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का का सेवन करने वालों द्वारा छोड़ा गया धुआं खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. वहीं, हाल के आंकड़े बताते हैं कि युवा बहुत कम उम्र में तंबाकू का सेवन करना शुरू कर देते हैं. इसमें अधिकांश की उम्र 10 साल की होती है. इसके जरूरी है कि तंबाकू के विज्ञापन और प्रचार पर भी व्यापक प्रतिबंध लगा दिया जाए. उन्होंने फुटकर में बीड़ी, सिगरेट आदि की बिक्री पर भी प्रतिबंध पर अपनी सहमति जताई है. इसके साथ ही 60 करोड़ पेड़ों को भी बचाने के लिए तंबाकू के प्रयोग को कम करने की जरूरत है. जो इसके उत्पादन के लिए काटे जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आंकड़े तीन स्टेज पर किए गए सर्वे के आधार पर निकले हैं. यूपी में तंबाकू के लती लोग देश में सबसे ज्यादा हैं.