गोरखपुर: सीएम योगी और पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गोरखपुर विकास के कई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. ऐसे ही कीर्तिमानों में से एक है निर्माणाधीन खाद कारखाने में बनाया गया 'प्रिलिंग टॉवर' जो पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर है. यह कुतुबमीनार से भी ऊंचा बनाया गया है. इस टॉवर से पर्यावरण भी सुरक्षित होगा और उच्च क्वालिटी की यूरिया खाद भी बनाई जाएगी. हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड(HURL) के खाद कारखाने में बनाए गए इस टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है. इस टावर में ऊपर से लिक्विड फॉर्म में यूरिया गिराई जाएगी और नीचे से प्रवाहित होने वाली अमोनिया गैस के साथ यह क्रिया करके छोटे-छोटे दाने के रूप में यूरिया खाद बनती जाएगी.
गोरखपुर में बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा 'प्रीलिंग टॉवर'
सूबे के सीएम योगी और पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गोरखपुर विकास के कई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. ऐसे ही कीर्तिमानों में से एक है निर्माणाधीन खाद कारखाने में बनाया गया 'प्रिलिंग टॉवर' जो पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर है. इस 'प्रिलिंग टॉवर' को जापान की टोयो कंपनी निर्माण कर रही है.
अभी हाल में केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्री सदानंद गौड़ा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ 15 फरवरी को इसका निरीक्षण किया है. इसका उद्घाटन 31 जुलाई से पहले कभी भी पीएम मोदी के द्वारा किया जा सकता है. यह घोषणा केंद्रीय मंत्री ने की है. प्रबंधन तंत्र की माने तो मात्र 2% कार्य शेष रह गया है. यह कार्य फैक्ट्री के निर्माण से नहीं बल्कि फैक्ट्री के अंदर सड़कों और कुछ सिविल कार्य से जुड़ा हुआ है.
जापान की टोयो कंपनी ने बनाया है'प्रीलिंग टावर'
करीब आठ हजार करोड़ रुपये खर्च कर बनाए जा रहे इस खाद कारखाना से अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष रूप से लाखों लोग रोजगार पाएंगे. किसानों को सस्ते दर पर समय से यूरिया उपलब्ध हो सकेगी. यहां से खाद का उत्पाद फरवरी 2021 में शुरू हो जाना था लेकिन कोरोना कि वजह से यह करीब 6 माह देर से शुरू होगा. जापान की टोयो कंपनी खाद कारखाने का निर्माण कर रही है. जिसने कुतुब मीनार से भी ऊंची प्रीलिंग टॉवर को बनाकर खाद निर्माण को पुख्ता कर दिया है. कारखाने में बाकी मशीनों का लगाया जाना भी पूर्ण हो चुका है. कुछ मशीनें जापान से जल मार्ग से हल्दिया होते हुए गोरखपुर लाई गई हैं. तो कुछ सड़क मार्ग से भी यहां पर पहुंची है. यहां से प्रतिदिन करीब 36 सौ मिट्रिक टन खाद का उत्पादन होगा. यही नहीं इस खाद कारखाने की जरूरत का पानी बगल के चिलुआताल से लिया जाएगा. जिसमें भारत का पहला रबड़ डैम बनाकर आवश्यकतानुसार पानी के स्टोरेज की व्यवस्था की गई है.