उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मासूम को गोद में लेकर टिकट काट रही बेबस मां, अधिकारियों को नहीं आई दया

मृतक आश्रित कोटे से चार साल पहले बस परिचालक की नौकरी पाने वाली शिप्रा दीक्षित कोरोना के बीच अपनी पांच माह की मासूम बच्ची को लेकर गोरखपुर से पडरौना के बीच टिकट काटने को मजबूर हैं. परिवहन विभाग में चाइल्‍ड केयर लीव का प्रावधान नहीं होने के कारण उन्हें नवजात बच्ची की परवरिश के लिए छुट्टी नहीं दी गई और न उनकी मांग पर कार्यालय से अटैच किया गया.

पांच माह की मासूम के साथ शिप्रा कर रहीं ड्यूटी.
पांच माह की मासूम के साथ शिप्रा कर रहीं ड्यूटी.

By

Published : Feb 12, 2021, 9:31 AM IST

Updated : Feb 13, 2021, 6:19 AM IST

गोरखपुर:उत्तर प्रदेश सरकार नेमिशन शक्ति और महिला सशक्‍तीकरण जैसे अभियान चलाकर महिलाओं को सशक्त बनाने का दावा कर रही है, लेकिन परिवहन विभाग में चाइल्‍ड केयर लीव का प्रावधान नहीं होने और अधिकारियों की बेरुखी के आगे एक बेबस मां अपनी पांच माह की मासूम बच्ची को लेकर गोरखपुर से पडरौना के बीच टिकट काटने को मजबूर है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नवजात बच्चों की देखभाल के लिए मां को दो साल तक के अवकाश का प्रावधान किया था. कई विभागों में प्रसूता को 6 माह की मैटरनिटी लीव और नवजात बच्चे की परवरिस के लिए मां को 730 दिन का अवकाश लेने का हक दिया है, लेकिन परिवहन विभाग में ये प्रावधान न होने से गोरखपुर रोडवेड में तैनात महिला परिचालक पांच साल की मासूम को साथ लेकर नौकरी करने को मजबूर है.

पांच माह की मासूम के साथ शिप्रा कर रहीं ड्यूटी.

ऑफिस से अटैच करने से अधिकारियों ने किया इनकार
गोरखपुर डिपो की परिचालक शिप्रा दीक्षित अपने 5 माह की मासूम को गोद में लेकर बस में टिकट काट रही है. उसकी इस स्थिति को देखकर विभाग के अधिकारियों को थोड़ी भी दया नहीं आई. मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने के बाद 2016 से शिप्रा दीक्षित परिचालक पद पर कार्य कर रही है. 25 जुलाई 2020 से मैटरनिटी लीव से छुट्टी ली थी. 21 अगस्त 2020 को उन्होंने बच्ची को जन्म दिया था. 19 जनवरी 2021 को उनकी छुट्टी खत्म होने के बाद जब नौकरी पर वापस लौटी तो उन्होंने अपने आलाधिकारियों से ऑफिस में अटैच करने की गुहार लगाई, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मांग को खारिज कर दिया. नौकरी छिनने के डर से वह पांच माह की मासूम के साथ नौकरी करना स्वीकार कर लिया.

परिचालक शिप्रा दीक्षित ने बताया कि परिवहन विभाग ने मैटरनिटी लीव से वापस आने पर उसे बस में परिचालक की ड्यूटी पर लगाया है. विभाग के आरएएम, एआरएम और एसआईसी ने ऑफिस से अटैच करने की मांग को नामंजूर कर दिया. हालांकि जूनियर फीमेल कर्मचारियों को ऑफिस का काम दिया जा रहा है. इतना ही नहीं विभाग ने बेरुखी भरे अंदाज में कहा है कि बच्ची को लेकर आप ड्यूटी पर जाइए, जैसे भी हो सके नौकरी करिए.

पांच माह की मासूम के साथ शिप्रा कर रहीं ड्यूटी.

महिला ने लगाए गंभीर आरोप
कोरोना काल में बच्ची को साथ लेकर नौकरी कर रही परिचालक का आरोप है कि मृतक आश्रित होने के कारण कई बार प्रताड़ित किया गया. जैसे सेवा देने के बावजूद रजिस्टर में अनुपस्थित दिखा दिया जाता है, छुट्टी दिखा देना, सैलरी काटकर उसे परेशान किया जाता है. हालांकि वो एमएससी(केमिस्ट्री) टॉपर हैं. उन्‍हें योग्‍यता के मुताबिक पद नहीं मिल पाया और न ही प्रमोशन मिल पा रहा है. शिप्रा कहती हैं कि वो खुद नहीं समझ पाईं कि उन्‍हें परिचालक के पद पर तैनाती क्‍यों दी गई. लेकिन, उन्‍हें मजबूरी वश नौकरी ज्‍वाइन करनी पड़ी. अब उनकी मांग है कि बच्ची की परवरिश के लिए कम से कम कार्यालय से अटैच कर दिया जाय.

पांच माह की मासूम के साथ शिप्रा कर रहीं ड्यूटी.

परिवहन विभाग में चाइल्‍ड केयर लीव का प्रावधान नहीं
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक केके तिवारी के मुताबिक परिचालक का काम परिचालन करना होता है. उनके यहां छह माह का प्रसूति अवकाश मिलता है. उन्होंने कहा कि शिप्रा 6 माह मैटरनिटी लीव के तौर पर गुजार चुकी हैं. उनके विभाग में चाइल्‍ड केयर लीव का प्रावधान नहीं है. परेशानी को देखते हुए उनके प्रार्थना पत्र को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्‍होंने ये भी बताया कि परेशानी को देखते हुए कार्यालय में अटैच किया जाता है, लेकिन, इसके लिए आगे अधिकारियों से अनुमति चाहिए होगी.

Last Updated : Feb 13, 2021, 6:19 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details