गोरखपुर:उत्तर प्रदेश सरकार नेमिशन शक्ति और महिला सशक्तीकरण जैसे अभियान चलाकर महिलाओं को सशक्त बनाने का दावा कर रही है, लेकिन परिवहन विभाग में चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान नहीं होने और अधिकारियों की बेरुखी के आगे एक बेबस मां अपनी पांच माह की मासूम बच्ची को लेकर गोरखपुर से पडरौना के बीच टिकट काटने को मजबूर है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नवजात बच्चों की देखभाल के लिए मां को दो साल तक के अवकाश का प्रावधान किया था. कई विभागों में प्रसूता को 6 माह की मैटरनिटी लीव और नवजात बच्चे की परवरिस के लिए मां को 730 दिन का अवकाश लेने का हक दिया है, लेकिन परिवहन विभाग में ये प्रावधान न होने से गोरखपुर रोडवेड में तैनात महिला परिचालक पांच साल की मासूम को साथ लेकर नौकरी करने को मजबूर है.
ऑफिस से अटैच करने से अधिकारियों ने किया इनकार
गोरखपुर डिपो की परिचालक शिप्रा दीक्षित अपने 5 माह की मासूम को गोद में लेकर बस में टिकट काट रही है. उसकी इस स्थिति को देखकर विभाग के अधिकारियों को थोड़ी भी दया नहीं आई. मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने के बाद 2016 से शिप्रा दीक्षित परिचालक पद पर कार्य कर रही है. 25 जुलाई 2020 से मैटरनिटी लीव से छुट्टी ली थी. 21 अगस्त 2020 को उन्होंने बच्ची को जन्म दिया था. 19 जनवरी 2021 को उनकी छुट्टी खत्म होने के बाद जब नौकरी पर वापस लौटी तो उन्होंने अपने आलाधिकारियों से ऑफिस में अटैच करने की गुहार लगाई, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मांग को खारिज कर दिया. नौकरी छिनने के डर से वह पांच माह की मासूम के साथ नौकरी करना स्वीकार कर लिया.
परिचालक शिप्रा दीक्षित ने बताया कि परिवहन विभाग ने मैटरनिटी लीव से वापस आने पर उसे बस में परिचालक की ड्यूटी पर लगाया है. विभाग के आरएएम, एआरएम और एसआईसी ने ऑफिस से अटैच करने की मांग को नामंजूर कर दिया. हालांकि जूनियर फीमेल कर्मचारियों को ऑफिस का काम दिया जा रहा है. इतना ही नहीं विभाग ने बेरुखी भरे अंदाज में कहा है कि बच्ची को लेकर आप ड्यूटी पर जाइए, जैसे भी हो सके नौकरी करिए.