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महंत अवैद्यनाथ की गिरफ्तारी से आंदोलित हो उठे थे विष्णु शंकर, कारसेवकों के साथ सड़क पर उतरे तो पकड़े गए - रामलला प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की होने जा रही है. इसे लेकर रामभक्तों में उत्साह है. इस ऐतिहासिक पल के साथ राम मंदिर आंदोलन की कई कहानियां (Mahant Avaidyanath Vishnu Shankar) सामने आने लगी हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 19, 2024, 12:29 PM IST

गोरखपुर के विष्णु शंकर ने बताई राम मंदिर आंदोलन की कहानी.

गोरखपुर :गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे हैं. वर्ष 1990 में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इससे गोरखपुर में उनसे जुड़े लोग आंदोलित हो गए. उनके करीबी आंदोलन को आगे बढ़ाते रहे. ऐसे ही लोगों में 17 साल के विष्णु शंकर श्रीवास्तव भी थे. उस दौरान वह 12वीं के छात्र थे. वह साथियों के साथ सड़क पर उतर गए. आगे चलकर वह महंत अवैद्यनाथ के परम शिष्य बने. उनके संसदीय चुनाव में संयोजक की भूमिका निभाते रहे. वह तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रतिनिधि भी रहे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर वह काफी खुश नजर आ रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से राम मंदिर आंदोलन की कई यादें साझा कीं.

कारसेवकों ने मंदिर के लिए किया था आंदोलन.

इस तरह आंदोलन से जुड़े :राम मंदिर आंदोलन के 1990 के दौर की चर्चा करते हुए विष्णु शंकर कहते हैं कि पूरे प्रदेश में माहौल गर्म था. मुलायम सिंह की सरकार में आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा था. वह भी गिरफ्तार कर लिए गए. उन्हें गोरखपुर से हटाकर आजमगढ़ जेल ले जाया गया. 17 दिन बाद उनकी रिहाई हुई. विष्णु कहते हैं कि उन्होने महंत अवैद्यनाथ को बचपन से ही देखा था. उनके साए में बड़ा हुआ. संघ की शाखा में जाता था, लेकिन जब राम मंदिर आंदोलन में महाराज निरुद्ध किए गए, लालकृष्ण आडवाणी की भी गिरफ्तारी हुई तो एक नारा गूंजने लगा "बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का". इस नारे को चरितार्थ करने के लिए वह आंदोलन से जुड़ गए.

आंदोलन की कई तस्वीरें भी लोगों ने संभाल कर रखी है.

योजना बैठक में शामिल होते रहे हैं विष्णु शंकर :विष्णु कहते हैं कि गोरखपुर से शुरू हुआ उनका राम मंदिर आंदोलन कारसेवा के लिए अयोध्या तक ले गया. वह अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, महंत नृत्य गोपाल दास के योजना बैठक में शामिल होते रहे, जो दिशा-निर्देश मिलता, उसके हिसाब से कार सेवा में जुटे रहे. आज मंदिर निर्माण पर वह बेहद खुश हैं. महंत अवैद्यनाथ के सपनों को पूरा होते देख रहे हैं. विष्णु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सांसद प्रतिनिधि भी रहे हैं. यही नहीं बीजेपी मंडल अध्यक्ष की भी उन्होंने भूमिका निभाई. वर्ष 2000 के दौरान जब योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षनाथ पूर्वांचल विकास मंच का गठन किया तो इन्हें संयोजक का दायित्व दिया. इसे विष्णु ने बखूबी अंजाम दिया और पूरे प्रदेश में संगठन का विस्तार हुआ. विष्णु ने आगे चलकर एलएलबी की शिक्षा हासिल की.अपने ओजस्वी भाषण, कद काठी से वह महंत अवैद्यनाथ और आदित्यनाथ दोनों के प्रिय बने रहे. महंत अवैद्यनाथ से शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के अलावा गिरिराज किशोर, महंत नृत्य गोपाल दास, लालकृष्ण आडवाणी आदि मिलने आते थे, हर समय विष्णु शंकर महंत अवैद्यनाथ के साथ साये की तरह खड़े रहे.

महंत अवैद्यनाथ की गिरफ्तारी का जताया था विरोध.

6 दिसंबर को अयोध्या में थे मौजूद :विष्णु बताते हैं कि 1992 में जब 6 दिसंबर को कारसेवा हो रही थी, तब भी वह वहीं मौजूद थे. कार सेवा के लिए निकले तो उन्हें बीच रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया. उस दौरान वह गोरखपुर में भाजपा के वार्ड अध्यक्ष थे. आज भी वह बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं. वह बताते हैं कि पहले गोंडा गया. उसके बाद 4 दिसंबर को ही अयोध्या पहुंच गए. उनकी आंखों के सामने वह पूरा दृश्य आज घूम रहा है जो अयोध्या में कारसेवकों का संघर्ष था. अब खुशी मिली है तो 22 जनवरी को दीपावली जैसा माहौल बनाएंगे. घर के पास मंदिर में सुंदरकांड भजन का आयोजन होगा. परिवार मित्रों के साथ उपवास रखने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि जब लक्ष्य पुनीत हो और अगुवा का नेतृत्व बेहतरीन हो, तो परिणाम एक न एक दिन आता ही है. राम मंदिर आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ बार-बार याद किए जाते रहेंगे.

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