गोरखपुर: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी में जातीय जनगणना का मुद्दा गरम हो गया है. जहां यूपी विधानसभा और विधान परिषद में भी जातिगत जनगणना को लेकर घमासान जारी है. वहीं, इस घमासान में गोरखपुर के काली शंकर यादव की भूमिका काफी अहम है. कालीशंकर की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 7 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है.
ओबीसी वर्ग को नहीं मिला रहा उनका अधिकारःईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ओबीसी आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर यादव ने बताया कि सेना से लेकर विश्वविद्यालय, कोर्ट और अन्य संस्थानों में आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर उन्हें मालूम हुआ कि प्रदेश में हो रही नियुक्तियों के मामले में ओबीसी वर्ग को उनका अधिकार नहीं मिल रहा है. यही नहीं ओबीसी की अन्य जातियों में यादव ही नहीं अन्य लोग भी इस प्रकार के अधिकारों से वंचित हो रहे हैं. जिसके लिए जातिगत जनगणना का होना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है. लेकिन सरकार जवाब देना और जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती है. वह दोनों सदनों में हंगामा कराकर इस मामले को टालना चाहती है. लेकिन जवाब न देना यह कोर्ट की अवमानना होगी.
पिछली सरकारों ने इसलिए नहीं कराई जातिगत जनगणनाःकालीशंकर ने कहा कि जब यह आवाज उनकी तरफ से उठाई गई और कोर्ट का आदेश हुआ. इसके बाद प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने भी इसे उचित ठहराया है. उन्होंने भी कहा कि प्रदेश की जातिगत गणना ही नहीं पूरे देश की जातिगत जनगणना होनी चाहिए. देश में ओबीसी समाज अपने कई तरह के अधिकारों से वंचित चल रहा है. जो इस जनगणना के माध्यम से पता चल जाएगा. काली शंकर ने कहा कि यह कार्य मायावती समेत पिछली अन्य सरकारें भी कर सकती थीं. लेकिन पिछली सरकारों ने नहीं किया. ऐसा नहीं होने की वजह से उन्हें कोर्ट जाना पड़ा.
राजनीतिक दलों ने ओबीसी को किया कमजोरःकाली शंकर ने कहा कि वह इस बात पर भी सहमत हैं कि जातिगत जनगणना देश स्तर पर हो. जिससे सभी जातियों की स्थिति स्पष्ट हो जाए. इसके बाद लोग लाभ से भी वंचित नहीं रहेंगे. उन्हें उनका हक मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि वह ओबीसी आर्मी बनाकर इस आंदोलन को तेज कर दिए हैं. जहां तमाम राजनीतिक दलों ने ओबीसी जातियों को अलग-अलग बांट कर उसे कमजोर करने में जुटे हुए हैं. इस जनगणना से न सिर्फ लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. बल्कि उन्हें 100 में से 60 प्रतिशत अपने अधिकारों को पाने की लड़ाई भी लड़ सकेंगे.