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'चौरी-चौरा में बीजेपी को दोबारा ऐतिहासिक जीत से पहले अंतर कलह दूर करना चुनौती' - चौरी चौरा सीट पर बीजेपी नेताओं में घमासान

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर गोरखपुर की चौरी-चौरा सीट पर सियासी घमासान जारी है. यहां बीजेपी नेताओं के बीच चल रही अंतर कलह से बीजेपी को नुकसान हो सकता है. चौरी-चौरा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी नेताओं के बीच अंतर कलह सार्वजनिक हो गई है.

चौरी-चौरा में सियासी घमासा
चौरी-चौरा में सियासी घमासा

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Published : Dec 20, 2021, 9:23 AM IST

गोरखपुर:यूपीविधानसभा चुनाव 2022 में गोरखपुर जिले में चौरी-चौरा की ऐतिहासिक सीट पर सियासी घमासान की विसात बिछाने के लिए सभी प्रमुख दल युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं. 2017 में इस सीट पर बीजेपी ने ऐतिहासिक वोटों से जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार स्थानीय तौर पर बीजेपी में अंतर कलह ने इस सीट से बीजेपी को नुकसान होने के संकेत दे दिए हैं. बीजेपी को चौरी चौरा में जीत के लिए पहले अंतर कलह को समाप्त करना होगा.

चौरी-चौरा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी नेताओं के बीच अंतर कलह अब सार्वजनिक हो गई है. इसकी जड़ 2017 विधानसभा चुनाव से पहले की है. दरअसल, चौरी-चौरा में कई ऐसे बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ता हैं जो 2017 में बीजेपी से अपने त्याग और समर्पण के आधार पर टिकट की मांग कर रहे थे. चौरी-चौरा में पिछड़ा वर्ग के वोटों की सर्वाधिक संख्या है. ऐसे में सपा के खिलाफ बीजेपी ने संगीता यादव को प्रत्याशी बनाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की.

सीएम योगी और केशव मौर्य में आस्था रखने वाले बीजेपी के कार्यकर्ता पिछले लोकसभा चुनाव से एक मंच पर नहीं आ पा रहे हैं. चौरी-चौरा में एक नेता ने बीजेपी समर्थकों को अपने पक्ष में संगठित कर लिया है. इसके अलावा चार बीजेपी के अन्य कद्दावर लोग जिनके पास पर्याप्त संख्या में समर्थक है वो भी नाराज हैं. ऐसे में 2022 का चुनाव सिर पर है. बीजेपी व उससे जुड़े संगठन इन दिग्गज नेताओं को मनाने में जुटे हुए हैं. अगर बीजेपी ने समय से इस अंतर कलह को दूर नहीं किया तो इसके नाकारात्मक परिणाम आ सकते है.

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चौरी-चौरा में बीजेपी में भयंकर अंतर कलह के बीच विधायक संगीता यादव ने बीजेपी को मजबूत किया है. 2017 के मुकाबले चौरी-चौरा में बीजेपी समर्थकों व सदस्यों की संख्या बढ़ी है. इसका श्रेय विधायक संगीता यादव को जाता है. चौरी-चौरा के कछार क्षेत्र (गोर्रा राप्ती का दोआब) में जो 2017 के पहले सपा के समर्थकों का गढ़ था अब वहां बीजेपी की मजबूत स्थित में है. चौरी-चौरा में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है. जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जातीय आंकड़ा मायने रखता है.

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