गोरखपुर: शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झारखंडी महादेव मंदिर शिव भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. शिवरात्रि पर स्थानीय लोगों के अलावा अलग-अलग जिलों से लाखों लोग यहां बाबा का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने के लिये पहुंचते हैं. बाबा की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालु मेले का भी आनंद उठाते हैं. इस मंदिर की कहानी रोचक और हैरान करने वाली है, जिसके बारे में कोई और नहीं बल्कि मंदिर के पुजारी शंभू गिरी और यहां के आस्थावान श्रद्धालु ही बताते हैं.
क्या है झारखंडी महादेव मंदिर का इतिहास
झारखंडी महादेव मंदिर मौजूदा समय में जहां स्थापित है, वहां आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व घना जंगल हुआ करता था, जहां तमाम लकड़हारे आते थे. मंदिर के पुजारी शंभू गिरी कहते हैं कि एक लकड़हारा यहां पेड़ काट रहा था. पेड़ काटते समय जब उसकी कुल्हाड़ी पेड़ की जड़ से टकराई तो एक पत्थर से टकराने की आवाज के साथ ही खून की धारा बहने लगी. इसके बाद लकड़हारे ने देखा तो वहां शिवलिंग था. लकड़हारा जितनी बार उस शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता शिवलिंग उतना ही नीचे धंसता चला जाता.
लकड़हारे ने भागकर यह घटना कई और लोगों को भी बताई. इसी बीच यहां के जमींदार गब्बू दास को रात में भगवान भोलेनाथ का सपना आया कि जंगल में भोले प्रकट हुए हैं. इसके बाद जमींदार स्थानीय लोगों के साथ वहां पहुंचकर शिवलिंग को जमीन से ऊपर करने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुए तब शिवलिंग पर दूध का अभिषेक किया जाने लगा और वहां पूजा-पाठ होने लगा, जो अब भी निरंतर जारी है. शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी का निशान मौजूद है.
मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि महाशिवरात्रि का पर्व हो या फिर सावन का महीना, हर मौसम में शिव भक्तों की भारी भीड़ यहां दर्शन-पूजन के लिए उमड़ती है. इसके साथ ही मान्यता है कि यहां मांगी गई भक्तों की हर मुराद भी पूरी होती हैं. यही वजह है कि इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.
लोग कहते हैं कि उन्होंने जो मुरादें मांगी, वह महादेव ने पूरी की. कई तो ऐसे हैं जो युवा काल से यहां आते हुए आज बुढ़ापे की तरफ बढ़ चले हैं, लेकिन उनकी बाबा के प्रति श्रद्धा में कोई कमी नहीं रही. मंदिर का लगातार विस्तार हो रहा है. सीएम योगी भी यहां समय-समय पर आते रहे हैं. महाशिवरात्रि की तैयारियां इस समय यहां जोरों-शोरों से चल रही है. पुजारी ने बताया कि यहां सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचने लगते हैं.