गोरखपुरः ट्रेन यात्रियों को दोहरा लाभ पहुंचा रही हैं. एक तरफ वो सुरक्षित अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन के परेशानी से मुक्त होकर वो अपने घर परिवार में पहुंच रहें हैं. जहां पर वो अपनों के शादी- विवाह के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल के दौरान जो यात्री गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर मिले, उन्होंने साफ कहा कि ट्रेन में यात्रा करने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ट्रेन में यात्रा हुई है. ट्रेन में वही यात्री सवार थे, जिनके पास कंफर्म टिकट था. इसलिए ट्रेन में भीड़ भी नहीं थी.
बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई से लौटने वाले लोग वहां लगने वाले लॉकडाउन से काफी प्रभावित थे. यूपी में वो इस भरोसे घर की तरफ चल दिए कि यहां पर लॉकडाउन की स्थिति नहीं है. हालांकि अब यहां पर भी लॉक डाउन धीरे-धीरे शुरू हो गया है. लेकिन उन्हें घर तक पहुंचाने में जो साधन सबसे बड़ी सहारा बनी है, वो ट्रेन है. कोरोना की महामारी में रेलवे वास्तव में मजदूरों के लिए बेहद मददगार साबित हुआ है. पिछले साल कोरोना संक्रमण काल में 24 मार्च 2020 से लॉक डाउन शुरू हुआ और ट्रेनों के पहिए जहां थे वहीं रुक गए. करीब 39 दिन बाद विशेष ट्रेनों को चलाकर देश के विभिन्न प्रांतों में फंसे हुए यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई. इस काम में पूर्वोत्तर रेलवे देश के किसी भी रेलवे से काफी आगे निकला और उसने 9 लाख 38 हजार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाकर उनके चेहरे पर खुशियां लौटाई. सामानों की आपूर्ति में भी माल गाड़ियों का पूर्वोत्तर रेलवे ने जमकर उपयोग किया. ट्रेनों से यात्रा करके अपने घर पहुंचने वाले यात्री भी बेहद खुश नजर आए. हालांकि इस बार मजदूरों के लिए कोई विशेष ट्रेन कोरोना काल में नहीं चलाई गई है. लेकिन जो चल रही है उसमें कोरोना से बचाव की व्यवस्था सुचारू ढंग से की गई है. जिससे यात्री यात्रा कर प्रसन्न दिखे.