गोरखपुरः जिले में बाढ़ से सैकड़ों गांव जलमग्न हैं. अनुमान के मुताबिक तीन लाख की आबादी इससे बुरी तरह से प्रभावित है. सबसे बुरी दशा उन गांवों की है, जो बाढ़ के पानी से चारों ओर से घिरे हुए हैं. यहां के लोग अपने घरों को छोड़कर जाना भी नहीं चाहते. वहीं ऐसे लोगों को खाने-पीने से लेकर स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की काफी दिक्कत भी महसूस हो रही है. जो लोग बांध-बंधे पर ठिकाना लिए हुए हैं. उन्हें प्रशासन जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रहा है. लेकिन इस बाढ़ आपदा में सबसे बड़ा चैलेंज पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना है.
बाढ़ की वजह से जल प्रदूषण के साथ कई तरह की संक्रामक बीमारियों के बढ़ने और फैलने का खतरा है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग की 84 टीमें बनाकर सीएमओ और डीएम निगरानी में जुटे हैं.
गोरखपुर में बाढ़ से प्रभावित 360 गांव यही वजह है कि बाढ़ को लेकर स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से सतर्क हो गया है. जिले के 11 स्वास्थ्य केंद्रों से दो सौ से अधिक गांव में स्वास्थ्य विभाग की 84 टीमें दौरा कर मरीजों का इलाज और जांच कर रही हैं. जिसमें 65 चिकित्सीय दल और 19 सचल दल की टीम शामिल है. इसके अलावा 86 बाढ़ चौकियों पर 206 स्वास्थ्यकर्मी लगाए गए हैं. जो मरीजों को दवाएं वितरित कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में सीएमओ डॉक्टर सुधाकर पांडेय ने कहा है कि उन्होंने 2 दिनों में मिर्जापुर, लहड़ी, राजघाट, लाल डिग्गी, इलाहीबाग, डोमिनगढ़, में बांध और उसके आसपास के स्वास्थ्य सुविधाओं का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि जो चिकित्सीय दल बाढ़ क्षेत्र में कार्य कर रहा है उसमें स्टाफ नर्स भी शामिल हैं. साथ ही आयुष के भी डॉक्टर भी हैं. बाढ़ चौकियों पर दवा की किट उपलब्ध करा दी गई है. जिसमें बुखार, उल्टी-दस्त, गैस की दवाई, एंटीबायोटिक के साथ ओआरएस का पैकेट और दस्त होने की स्थिति में मेट्रोजिल भी दी जा रही है. इसके अलावा क्लोरीन की गोली भी लोगों को दी जा रही है. जिससे वह पानी को शुद्ध कर पी सकें. इस बीच भारी बारिश की वजह से शहर के जो प्रभावित मोहल्ले हैं, वहां भी जलजमाव और संक्रामक बीमारियों के फैलने के खतरे को देखते हुए, राजनीतिक और सामाजिक लोगों ने सीएमओ से मिलकर वहां पर स्वास्थ्य शिविर लगाए जाने की मांग किया है.
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खास बात यह है कि इन गांवों के बाढ़ की चपेट में आने से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डेरवा, कौड़ीराम, खजनी, सहजनवा, चरगांवा, खोराबार, बरहमपुर, बांसगांव, जंगल कौड़िया, झगहां, सहजनवा, पिपरौली, खजनी पानी में डूबे हैं. ऐसे में यहां से स्वास्थ्य सुविधा लोगों को नहीं दे पा रहें है. इसलिए जिला स्तरीय टीम बनाकर लोगों को सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इन गांवों में अब तक करीब डेढ़ लाख क्लोरीन के टेबलेट 20 हजार ओआरएस के पैकेट वितरित किए जा चुके हैं. 7,125 नलकूपों को विसंक्रमित किया गया है. 25 गांव में फागिंग और कीटनाशक का छिड़काव भी कराया जा चुका है. लेकिन अभी पूरी आबादी को कवर करने में स्वास्थ्य विभाग को कड़ी मशक्कत करनी होगी.