गोरखपुरः दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों की वार्षिक एथलेटिक तीन दिवसीय प्रतियोगिता का उद्घाटन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे, विशिष्ट अतिथि नेपाल सरकार के पूर्व गृह राज्य मंत्री और वर्तमान सांसद देवेंद्र राज कंडेल ने हवा में तिरंगा गुब्बारा छोड़कर किया.
वार्षिक एथलेटिक प्रतियोगिता का हुआ उद्घाटन. इस प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय सहित 48 महाविद्यालयों के लगभग 575 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया. तीन दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में रिले रेस 200 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक, लांग जंप, हाई जंप, शॉट पुट सहित अन्य खेलों का आयोजन किया जाएगा.
कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस दौरान कार्यक्रम में आयोजक सचिव राजवीर सिंह, डॉ. ओम प्रकाश, प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्हा, प्रोफेसर प्रदीप यादव, डॉ. मुरली मनोहर पाठक, प्रोफेसर सुनीता, प्रोफेसर शिखा सिंह, प्रोफेसर वीना बत्रा सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.
48 महाविद्यालयों के 575 प्रतिभागी खिलाड़ियों की मौजूदगी दर्ज
मीडिया से बात करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वविद्यालय में एथलीट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं.
अभी तक 48 महाविद्यालयों के 575 प्रतिभागी खिलाड़ियों ने अपनी मौजूदगी इस प्रतियोगिता में दर्ज कराई है. वहीं इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को शारीरिक दक्षता दिखाने का अवसर तो मिलेगा. साथ ही बड़े-बड़े प्रतियोगिताओं में जाकर विश्वविद्यालय और देश का नाम रोशन करने का अवसर भी प्राप्त होगा.
भारत और नेपाल का रोटी बेटी का रिश्ता
वहीं कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व गृह राज्य मंत्री और वर्तमान सांसद देवेंद्र राज कंडेल ने बताया कि वह इसी विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर खेलकूद की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते थे. विश्वविद्यालय में हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व भी उन्होंने किया था.
साथ ही उनका कहना था कि एक खिलाड़ी होने के कारण जो अनुशासन, ऊर्जा और जज्बा उनके अंदर उत्पन्न हुआ, उसने राजनीति में भी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वहीं भारत और नेपाल का रोटी बेटी का रिश्ता है और खुली हुई सीमाएं नेपालियों को भारत में आने और भारतवासियों को नेपाल में जाने के लिए प्रेरित करती हैं. यही कारण है कि संस्कृति, सभ्यता और भाषा काफी मिलती-जुलती है.
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