गोरखपुर:गोरखपुर समेत पूरे पूर्वांचल के किसानों नवजवानों के खाद कारखाने का सपना अब पूरा होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 7 दिसंबर को करीब आठ हजार करोड़ की लागत से बने खाद कारखाने की सौगात देने जा रहे हैं. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट था. जिसके माध्यम से खेतों में हरियाली और रोजगार के क्षेत्र में खुशहाली आने की पूरी उम्मीद है.
पिछले 34 वर्षों से बंद पड़े गोरखपुर के खाद कारखाने को अब नई तकनीक के साथ नए स्वरुप में तैयार किया गया है, जिसका आगामी सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे. वहीं, भव्य लोकार्पण की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं समीक्षा को मौके पर पहुंचे.
बता दें कि सांसद रहते उन्होंने खाद कारखाने को चलवाने के लिए लगातार संघर्ष किया था. हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड की ओर से निर्मित इस कारखाने से प्रतिवर्ष 12 लाख 70 हजार मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा. इतने बड़े पैमाने पर खाद उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी तो वहीं भारत आत्मनिर्भरता का दम भी दिखाएगा.
करीब 10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
गोरखपुर के खाद कारखाने के संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड की है. यह एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन आयल कारपोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं. जबकि इसमें फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं. इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर के खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8 हजार करोड़ की लागत आई है.
इधर, कारखाना परिसर में 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर डैम भी बना गया है, जो चिलुआताल के पानी को कारखाने के लिए उपयोगी बनाएगा. इसके उत्पादनसील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.
यही नहीं आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी. प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण से पूर्व कारखाना प्रबंधन 30 नवंबर को उत्पादन का ट्रायल भी करने जा रहा है. एक साल से अधिक का समय वैश्विक महामारी कोरोना प्रभावित होने के बावजूद इस कारखाने का कार्य समय बद्ध तरीके से आगे बढ़ा तो इसका श्रेय प्रदेश की योगी सरकार को देने से पूर्व केंद्रीय रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा भी नहीं चूके.