उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

सूदखोरों से गोरखपुर की गलियां आबाद, सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ चार का करोबार, कर्जदार परेशान

By

Published : Jun 22, 2022, 3:22 PM IST

गोरखपुर में सूदखोरों की मनमानी और दबंगई खुलकर सामने आ रही है. शिकायत न होने से विभाग सूदखोरों पर शिकंजा कसने में विफल हो रहा है, जिसकी वजह से सूदखोरों की मनमानी बढ़ जाती है.

etv bharat
रुपये

गोरखपुर: महंगाई और आर्थिक तंगी ने तमाम लोगों को कर्ज लेने के लिए मजबूर कर दिया है. यह कर्ज देने के लिए समाज में सूदखोर भी खूब बैठे हैं, जहां कुछ मामलों में लोगों को बैंकों से कर्ज लेना मुश्किल होता है. वहीं, आनन-फानन में सूदखोरों से लिया गया कर्ज ऐसे लोगों के लिए बड़ी परेशानी भी लाता है.

इन दिनों शहर के सूदखोरों की मनमानी और दबंगई खुलकर सामने आ रही है. शिकायत न होने से विभाग सूदखोरों पर शिकंजा कसने में विफल हो रहा है, जिसकी वजह से सूदखोरों की मनमानी बढ़ जाती है. हर दिन कोई न कोई ऐसी घटना सामने आ रही है, जिसमें कर्ज लिए हुए लोग ब्याज सहित कर्ज नहीं लौटा पाते है तो उनको सूदखोरों के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है.

अपर जिलाधिकारी वित्त राजेश कुमार सिंह

ईटीवी भारत सूद खोरी से जुड़ी अपनी इस खबर में उन पीड़ित लोगों का हवाला दे रही है जो लगातार परेशान रहे और आत्महत्या का कदम तक उठा लिए. कुछ की हत्या भी हुई. 10 अप्रैल 2017 को सहजनवा थाना क्षेत्र में फोरलेन पर एक घटना घटी थी, जिसमें सोना व्यापारी नितिन अग्रवाल को कार में हाथ पैर बांधकर जिंदा जला दिया गया था.

इस मामले में भी सूदखोरी की बात सामने आई थी लेकिन सूदखोर पकड़ में नहीं आए. इसी प्रकार 4 फरवरी 2019 को गोरखपुर में कर्ज में डूबे शहर के व्यापारी ने परिवार के 4 लोगों को जहर देकर मार डाला और फिर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी. मरने से पहले व्यापारी की बेटी और बेटों ने बताया था कि कर्ज से तंग आकर उनका परिवार जाहर खाया है.

रुपये

इसी प्रकार चिलुआताल थाना क्षेत्र (Chiluatal Police Station Area) में 20 अप्रैल 2020 को सूदखोरों से प्रताड़ित होकर एक युवक ने जहर खा लिया था. युवक की पत्नी ने पुलिस को तहरीर दी थी कि उसने धमकी का ऑडियो भी उपलब्ध कराया है, जिसमें कुछ लोग पैसा लौटाने के लिए दबाव भी बना रहे हैं. शहर के ही तिवारीपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले फलों के थोक व्यापारी सुरेश गुप्ता का शव 9 जून 2021 को राप्ती नदी में मिला था. बताया जाता है कि कर्ज को लेकर सुरेश ने ऐसा कदम उठाया था. बाकी हकीकत की जांच में पुलिस ड्यूटी है.

गोरखपुर में रजिस्टर्ड सूदखोर/साहूकार की बात करें तो इनकी संख्या कुल चार है. जिसमें अनिल कुमार अग्रवाल बड़हलगंज, मेसर्स अग्रवाल हाउस एंड आर्नामेंट गोला बाजर, अर्पित चौधरी सदर तहसील और विकास आनंद सदर तहसील के है जो लोगों को कर्ज देते हैं. जबकि अपर जिलाधिकारी वित्त और राजस्व के कार्यालय में कभी 200 के करीब साहूकार रजिस्टर्ड थे.

इसे भी पढ़ेंःकन्नौज: छेड़छाड़ से तंग आकर छात्रा ने फांसी लगाकर दी जान, 4 पर रिपोर्ट दर्ज

अब इनकी संख्या घटकर 4 हो गई है. इनके अलावा 150 से अधिक साहूकार दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने नहीं आए. साहूकारों का 3 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है, जिसकी फीस हर साल 20 से 60 रुपये लगती है.

नियम है कि साहूकार बड़ी रकम कर्ज के रूप में नहीं दे सकते. इस मामले में अपर जिलाधिकारी वित्त राजेश कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा दौर में बैंक सुरक्षित और सरल तरीके से लोन दे रहे हैं. लोगों को बाहरी लोगों से कर्ज लेने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक शिकायतें नहीं आएंगी वह कार्रवाई किसके खिलाफ करेंगे.

साहूकारी के मामले में सरकारी नियम की बात करें, तो उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1976 के मुताबिक साहूकारी के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है. इसके तहत साहूकार प्रतिभूत ऋण यानी कोई वस्तु गिरवी रख कर लिए गए पैसे पर 12 से 14 फीसदी वार्षिक ब्याज ले सकता है इससे अधिक की वसूली पर उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details