गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रत्येक महीने लाखों करोड़ों रुपये का बजट आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर निगम को देता है. ऐसे में नगर निगम की जिम्मेदारी बनती है कि उन आवारा पशुओं की धरपकड़ कर उपवनों में भेजे. मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में मुख्य बाजारों, सड़कों पर खुलेआम आवारा छुट्टा पशु देखे जा सकते है. वहीं इन आवारा पशुओं से राहगीरों में भी दहशत व्याप्त है. जिम्मेदार ऑफिस में बैठकर केवल रणनीति बनाने में लगे हुए हैं.
गोरखपुर: सीएम योगी के गृह जनपद में राहगीरों के लिए मुसीबत बने आवारा पशु - gorakhpur news
सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं के लिए सीएम योगी ने कई गौशालाओं का निर्माण कराया है. पशुओं की धरपकड़ के जिम्मेदार नगर निगम केवल कागजों पर रणनीति तैयार कर रहे है. आवारा पशुओं से राहगीरों में दहशत बनी हुई है.आए दिन राहगीरों को चोटिल करने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं.
आवारा पशु की धरपकड़ के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है. सड़कों पर अगर दुधारू जानवर दिखाई देते हैं तो उनकी फोटोग्राफी करा कर उनके मालिकों को भेजी जाए और आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाए. गोवंश की धरपकड़ को लेकर काफी समस्याएं भी सामने आती हैं. इसको ध्यान में रखकर ही आवारा पशुओं और छुट्टा पशुओं के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है.
-अंजनी कुमार सिंह, नगर आयुक्त
शहर में आवारा छुट्टा पशुओं का जमावड़ा देखने को मिल जाएगा. यह यातायात को बाधित करते हैं. राहगीरों को भी गंभीर चोट पहुंचाते हैं. ऐसे में आए दिन राहगीर चोटिल होते हैं. आवारा पशु जब आपस में झगड़ते हैं तो दुकानदारों की दुकानों में घुस जाते हैं और लाखों रुपये की क्षति पहुंचा देते हैं.
-इनामुल हक, राहगीर