गोरखपुरः आर्थिक समस्या और पारिवारिक उलझने गृह क्लेश का बड़ा कारण बन रही हैं. इसके मामले भी खूब प्रकाश में आ रहे हैं. वहीं, इसको सुलझाने में पुलिस 'परिवार परामर्श केंद्र' के माध्यम से सफल भी हो रही है. मगर, उसके सामने जो सबसे बड़ी समस्या और चुनौती है वह अपहरण और गुमशुदगी के बढ़ते हुए मामले हैं, जिसको सुलझा पाना उसके लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है. साल दर साल आंकड़ों में वृद्धि हो रही है, लेकिन सफलता के आंकड़े पुलिस के रिकॉर्ड में बेहद कमजोर नजर आते हैं. यही वजह है कि गोरखपुर पुलिस की रेटिंग कुछ मामलों में प्रदेश में बेहद खराब जा रही है. वहीं, पीड़ितों के न्याय की आस भी टूट रही है.
कुछ मामलों का जिक्र गुमशुदगी के यहां किए जा रहे हैं, जिसमें गोरखनाथ थाना क्षेत्र में अक्टूबर 2022 में प्रीति (काल्पनिक) नाम का मामला गुमशुदगी का दर्द हुआ था और वह अभी तक कहां है कुछ पता नहीं चल पाया है. इस मामले में उसके घर वालों का कहना है कि प्रीति को घरवाले पढ़ने से लेकर कई मामलों में टोकते थे, जिससे वह घर से कहां निकलकर चली गई कुछ पता नहीं. इसी प्रकार दिसंबर 2022 में शाहपुर थाना क्षेत्र की सुनीता (काल्पनिक) नाम लड़की चाचा के घर गई थी. वहां एक लड़के ने उसका अपहरण कर लिया था.
केस दर्ज होने पर जब पुलिस ने दबिश दी तो लड़का मौके से फरार हो गया. लड़की तो सुरक्षित बरामद हो गई, लेकिन वह आरोपी आज तक पुलिस की पकड़ में नहीं आया. ऐसे मामले आए दिन पुलिस के सामने आ रहे हैं. गृह क्लेश से गायब होने वाली बेटियां या महिलाओं के मामले को तो पुलिस 'परिवार परामर्श केंद्र' जो पुलिस की ही एक शाखा है के जरिए सुलझा दे रही है, लेकिन अपहरण और गुमशुदगी उसे चैन की सांस लेने नहीं दे रही. जैसा मौजूदा समय लेकर पिछले वर्ष के आंकड़े बता रहे हैं.