गोरखपुरः कभी बहुजन समाज पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे इंद्रजीत सरोज अब बीएसपी सुप्रीमो पर ही निशाना साधने में लगे हुए हैं. साधे भी क्यों नहीं अब वे समाजवादी पार्टी के जो हो गए हैं. वो मायावती सरकार में चार बार मंत्री थे. लेकिन अब अखिलेश यादव से हाथ मिलाकर सामाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. गोरखपुर में एक दलित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके जैसे बीएसपी के 6 प्रदेश अध्यक्षों ने पार्टी को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि मायावती कांशीराम के मिशन को पूरा करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई हैं.
उन्होंने कहा कि बीएसपी के गठन और मायावती के बीएसपी में आने से पहले वो काशीराम के विचारों से प्रेरित होकर 1983 से संगठन के लिए काम कर रहे थे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी उसको आगे बढ़ा रहे थे. लेकिन मायावती ने न तो बीएसपी के मिशन को पूरा किया और न ही काशीराम के मिशन को पूरा कर पाईं. ऐसे में उस दल को छोड़ना उनकी मजबूरी बन गई थी. एसपी के साथ जुड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीएसपी के विचारधारा के ये पार्टी करीब है. यही पार्टी संविधान की रक्षा और काशीराम के मिशन को पूरा कर सकती है.
उन्होंने कहा कि मायावती की वजह से आज दलित हासिये पर है. उसकी कहीं कोई पूछ नहीं है. मायावती ने दलितों को अकेला छोड़ दिया है. उनके पार्टी में अब सतीश चंद्र मिश्रा और उनका भतीजा बचा है. जिनसे न तो बीएसपी का भला होने वाला है और न ही कांशीराम का मिशन पूरा होने वाला है. उन्होंने कहा कि आखिरकार बीएसपी के छह प्रदेश अध्यक्ष एसपी में शामिल हुए तो इसकी कोई बड़ी वजह निश्चित होगी. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी में आए हुए सभी बीएसपी के पूर्व नेताओं का सम्मान और कद अखिलेश यादव ने बढ़ाया है. उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है और सभी के संयुक्त प्रयास से प्रदेश में 2022 में बनने वाली सरकार में भी अखिलेश यादव बीएसपी नेताओं को सम्मान देंगे.