गोरखपुर:कोरोना महामारी में पीड़ितों के लिए बड़े मददगार बनकर उभरे फिल्म स्टार सोनू सूद (sonu sood) धीरे-धीरे लोगों के लिए हर मर्ज की दवा बनते जा रहे हैं. ताजा मामला गोरखपुर मंडल के कुशीनगर जिले से जुड़ा हुआ है. यहां उन्होंने एक युवक के ट्वीट (tweet) पर ध्यान देते हुए उसके गांव में बंदरों की परेशानी से निजात दिलाने के लिए बड़ा प्रयास किया है.
ट्वीट पर एक्टिव हुए सोनू सूद
कुशीनगर के परवरपार गांव में बंदरों के आतंक से लोग परेशान थे. इसका हल नहीं मिलने पर गांव के युवक बसु गुप्ता ने सोनू सूद को इस मामले में ट्वीट (tweet) कर दिया. फिर क्या था, सोनू सूद (sonu sood) इस ट्वीट पर एक्टिव हो गए और उनके कार्यालय में काम करने वाले साधु बैजनाथ ने वन विभाग को फोन कर बंदरों को पकड़ने की बात कही. साथ ही इसमें आने वाले खर्च का भुगतान करने का प्रस्ताव भी दिया. इसके बाद वन विभाग हरकत में आ गया. वन विभाग की 6 सदस्यीय एक टीम शिकारियों के साथ गांव पहुंचकर बंदरों को पकड़ लाई.
बंदरों को जंगल में छोड़ेगा वन विभाग
सोनू सूद(sonu sood) के प्रयास और उनके द्वारा खर्च उठाने की बात से वन भाग के अधिकारी काफी लज्जित हुए. यही वजह थी कि उन्होंने इसके लिए सोनू सूद से किसी भी तरह का खर्च नहीं लिया. विभाग ने बंदर पकड़वाने के लिए अपनी टीम को भेज दिया. पकड़े गए बंदरों को गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में छोड़ा जाएगा. इस मामले में रेंजर अखिलेश दुबे ने कहा कि परवरपार गांव में बंदरों के आतंक की खबर मिल रही थी, लेकिन सक्रियता निश्चित रूप से सोनू सूद के ट्वीट और उनके कार्यालय के संपर्क करने के बाद आई. इसके बाद कसया ब्लॉक क्षेत्र के परवरपर गांव से बंदर को पकड़ा गया.
सोनू सूद के ट्वीट के बाद की कार्रवाई
इस मामले में सोनू सूद(sonu sood) ने बसु गुप्ता के ट्वीट(tweet) का संज्ञान लेते हुए उससे गांव का पूरा पता मांगा था. साथ ही समस्या के समाधान का आश्वासन भी दिया था. समस्या का निराकरण हो जाने के बाद अब गांव के लोग बेहद खुश हैं. बसु गुप्ता के साथ सोनू सूद के प्रयास की गांव वाले जमकर तारीफ कर रहे हैं. उनका कहना है कि बंदरों के आतंक से गांव में रहना मुश्किल हो गया था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वन विभाग ने प्रयास भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. धन्य हैं सोनू सूद, जिन्होंने इस मामले को संज्ञान में लिया और निराकरण भी कराया. यह सोनू सूद के लोगों की समस्याओं से जुड़ने का नतीजा है कि कुशीनगर के एक गांव में बैठे युवक को उनपर भरोसा हुआ और उसने अपनी समस्या ट्वीट कर दी.