गोरखपुर: हिंदी के अगहन माह को मार्गशीर्ष भी कहा जाता है, जिसके शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को "श्रीमद्भागवत गीता" जयंती के रूप में मनाया जाता है. गीता इकलौता ऐसा धर्म ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है. महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए इसके महत्व का वर्णन किया था. इसमें कुछ 700 श्लोक और 18 अध्याय हैं. इसे नीति और धर्म शास्त्र का श्रेष्ठतम ग्रंथ माना जाता है. हिंदू धर्म और सभी धर्मों में इसकी स्वीकार्यता है. महत्ता इसकी इतनी कि आज के दौर में भी अदालत के अंदर गीता पर हाथ रख कर लोग सच बोलने की शपथ लेते हैं. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष और एकादशी की तिथि को, गोरखपुर में गीता जयंती को लेकर खासा उत्साह देखा जाता है. वजह यह भी है कि इसी शहर से गीता प्रेस जैसे नाम की संस्था है, जो धर्म ग्रंथों के छपाई का सबसे बड़ा केंद्र है, जहां से श्रीमद्भगवद्गीता अब तक लाखों प्रतियों में छपकर लोगों के घरों तक पहुंचकर, अपना संदेश महत्व और अपने गुणों से लोगों को फायदा पहुंचा रही है.
गीता प्रेस में इसकी जयंती सैकड़ों बरसों से मनाई जाती आ रही है. इस वर्ष भी जयंती बेहद खास होने वाली है, जो 4 दिसंबर रविवार को पड़ रही है. इस दिन भव्यता के साथ उसके महत्व की चर्चा एक बार फिर होगी. इस आयोजन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल कहते हैं कि भगवत गीता एक ऐसा धर्म ग्रंथ है, जिसे भगवान कृष्ण ने अपने मुख से अर्जुन को सुनाया है. कहा कि इसके महत्व से लोग परिचित हैं. फिर भी आज के डिजिटल युग में इस पर तरह-तरह के व्याख्यान दिए जा रहे हैं. ऐसे में गीता प्रेस जो इसकी जयंती सैकड़ों वर्षो से मनाता चला रहा है. इसके महत्व, उयोगिता को घर, समाज तक पहुंचाने के लिए भव्य आयोजन करेगा.