गोरखपुर:बाढ़ की परेशानी से निपटना हो या फिर किसानों की खेती के लिए जल का प्रबंध करना हो, इन सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए गोरखपुर में संचालित की जा रही सिंचाई विभाग की योजनाएं काफी मददगार साबित हुई हैं. पिछले 3 वर्षों का रिकॉर्ड तो काफी बेहतर रहा है. जिसकी वजह से गोरखपुर क्षेत्र में बाढ़ प्रबंधन करने में सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन पूरी तरह सफल साबित हुआ है. साथ ही खेतों तक पानी पहुंचाने में भी इन्हें असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा है. गोरखपुर मंडल में छोटी-बड़ी दर्जनभर नदियां प्रवाहित होती हैं. जिसमें नेपाल से सटा हुआ महराजगंज और कुशीनगर जिले का क्षेत्र गंडक नदी के विशेष प्रभाव में होता है. नेपाल से होकर गोरखपुर के राप्ती नदी में मिलने वाली रोहिन नदी भी कई मायनों में अपना महत्वपूर्ण रोल अदा करती है. गोरखपुर से होकर बहने वाली नदियों की तो यह राप्ती और घाघरा नदी के साथ आमी और गोर्रा नदी से प्रभावित होती हैं.
सिंचाई परियोजनाओं का मिल रहा लाभ मई तक पूर्ण होंगे कार्य योगी सरकार के कार्यकाल में पिछले 3 वर्षों में गोरखपुर मंडल में सिंचाई परियोजनाएं काफी तेजी के साथ पूर्ण हुई हैं. नई परियोजनाओं का शिलान्यास भी हुआ है. 23 जनवरी 2021 को 80 परियोजनाओं का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकार्पण किया था तो 103 परियोजनाओं का शिलान्यास भी हुआ है. आपको बता दें कि 20 फरवरी को मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं के तहत नहरों पर बनाये पुल-पुलिया के पुनर्निर्माण और मरम्मत के कार्य को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है. जिसमें गोरखपुर मंडल में इसकी संख्या कुल 955 है. जिसपर इस वर्ष के मई माह तक कार्य पूर्ण कर लिया जाना है.
नई परियोजनाओं पर हो रहा काम
गोरखपुर में जो सबसे खास परियोजना सिंचाई की चली है वह बाढ़ नियंत्रण को लेकर है. जिसका नाम 'ड्रेजिंग एंड रिवर चैनेलाइजेशन' है. इस परियोजना में मुख्य रूप से नदियों की खुदाई कर नई धारा का निर्माण करना, बंधों की कटान को रोकना और बाढ़ की समस्या को टालना है. जिले के करजही गांव के पास राप्ती नदी पर गौरी बरसाइत तटबंध है. जहां पर नदी की धारा को मोड़ने का कार्य किया गया है. गोरखपुर शहर से 19 किलोमीटर दूर सेवई बाजार के पास लहसडी रिंग बांध के करीब राप्ती नदी की धारा को मोड़ने का कार्य किया गया है. जिससे भविष्य में भी बाढ़ की आपदा ग्रामीणों को न झेलना पड़े. वर्ष 1998 की भयंकर बाढ़ में यह इलाका पूरी तरह तबाह हो गया था. नदियों की धारा मोड़ने का कार्य सिंचाई विभाग का यांत्रिक और बैराज खंड कर रहा था. कुल तीन स्थानों पर नदी की धारा मोड़ने के लिए 9 करोड़ 97 लाख रुपये का बजट शासन ने जारी किया था. इसी प्रकार जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर रुद्रपुर मार्ग पर बरही पाथ बांध के भगने गांव के पास राप्ती नदी की धारा करीब 1 किलोमीटर मोड़ कर गांव वालों को राहत पहुंचाई गई. जिलाधिकारी गोरखपुर के. विजेंद्र पांडियन ने कहा कि बाढ़ से निपटने के लिए जिन परिजनों पर काम हुआ है, वह गोरखपुर के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ इस पर विस्तार से जानकारी दी.
जनता को पहुंचायी राहत
गोरखपुर में एक रेगुलेटर बनाया जा रहा है. जिसका नाम तक 'तरकुलानी रेगुलेटर' है. इसके बन जाने से करीब 40 गांव की 50 हजार से ज्यादा आबादी को बाढ़ से राहत मिलेगी. वहीं खेती योग्य जमीन पानी में नहीं डूबेगी और फसलें भी इन खेतों में अब पैदा की जा सकेगी. यह परियोजना अपने पूर्णता के अंतिम चरण पर है. जिस पर करीब 85 करोड़ रुपया खर्च हो रहा है. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इतने बड़े क्षेत्र में फसलों की बर्बादी को होते हुए देख वह बतौर सांसद रहते लड़ाई तो खूब लड़े, लेकिन इसे दूर कराने में वह तब सफल हुए जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके साथ ही 16 फरवरी बसंत पंचमी के दिन राप्ती नदी के तट पर सिंचाई विभाग की बड़ी परियोजनाओं में शामिल रहे राम घाट, राजघाट और गुरु गोरक्षनाथ घाट के साथ अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए बाबा मुक्तेश्वर नाथ घाट का भी उन्होंने लोकार्पण कर क्षेत्र की जनता को बड़ी राहत पहुंचायी हैं.
कई गांवों को मिली सिंचाई की सुविधा
इसके अलावा नेपाल से निकलकर महराजगंज होते हुए गोरखपुर के राप्ती नदी में मिलने वाली रोहिणी नदी की लंबाई करीब 180 किलोमीटर है. जो अपने क्षेत्र में नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने पर बाढ़ की तबाही मचाती थी. राप्ती नदी करीब 600 किलोमीटर की लंबाई में बहती है. गोरखपुर क्षेत्र 7 नदियों से घिरा है. 490 किलोमीटर की लंबाई में बंधे बने हैं. जो मरम्मत और अनुरक्षण की वजह से लोगों को बाढ़ से बचाते हैं. बीस वर्षों से जो सरयू नहर परियोजना चल रही थी. वह समाप्त हो चुकी है. जिससे 700 गांवों को सिंचाई की सुविधा मिली है.
गोरखपुर में कुल 8 परियोजनाएं 23 जनवरी 2021 तक लोकार्पण की गई हैं. जिस पर 9624. 83 लाख रुपये खर्च हुए हैं. वहीं 23 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 10995.56 लाख रुपये खर्च होगा. इसी प्रकार महाराजगंज जनपद में 19 परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं. जिसपर 8575.69 लाख रुपये खर्च हुए हैं, तो 17 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिसपर 8128.68 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. बात करें देवरिया की तो यहां पर 3 परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं. जिस पर 2695.06 लाख रुपये खर्च हुए हैं तो 9 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 7641.35 लाख रुपये खर्च होंगे. कुशीनगर में 20 परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं, जिस पर 20670.67 लाख रुपये खर्च हुए हैं, तो 9 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 9220.82 लाख खर्च किए जाएंगे. संतकबीर नगर में एक परियोजना पूर्ण हुई है. जिस पर 325.79 लाख खर्च हुआ है, तो 4 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 1681 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. इसी प्रकार बस्ती में 8 परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं. जिस पर 6562.15 लाख रुपये खर्च हुए हैं, तो 9 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 8793.61 लाख खर्च किए जाएंगे. सिद्धार्थ नगर की बात करें तो यहां पर 5 परियोजनाओं का कार्य पूर्ण हुआ है. जिस पर 3262. 83 लाख रुपये खर्च हुए हैं और 11 नई परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है. जिस पर 4217.31 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.