गोरखपुर :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र गोरखपुर इस समय राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है. सभी दल पूर्वांचल में बीजेपी की मजबूत पैठ को कमजोर करने के लिए गोरखपुर में अपनी रैली व बड़े अभियानों को शुरू करने में जुटे हैं. उन्हें उम्मीद है कि यहां से वे जो अभियान या रैली निकालेंगे, उसका असर पूरे पूर्वांचल पर होगा.
पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रतिज्ञा रैली कर जनता से कांग्रेस को मजबूत करने की अपील की थी. कई लोक लुभावने वायदे भी किए थे. इसी क्रम में अब 11 नवंबर यानी गुरुवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव, सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा लेकर गोरखपुर पहुंच रहे हैं. वह चंपा देवी पार्क में एक विशाल रैली के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं को एक जुट करने और अपनी स्थिति का आकलन भी करेंगे.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी इस रैली की सफलता ही शिवपाल की समाजवादी पार्टी से तालमेल की स्थिति को स्पष्ट करेगी. ऐसे में तब जबकि अखिलेश यादव 13 नवंबर को गोरखपुर पहुंच रहे हैं, चाचा शिवपाल का भतीजे से पहले गोरखपुर में धमकना कई मायने में खास हो जाता है.
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शिवपाल यादव की इस रैली को सफल बनाने के लिए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लोहिया वाहिनी से लेकर किसान महासभा के सभी नेताओं ने अपनी ताकत झोंक दी है. समाजवादी पार्टी की सरकार में रहते हुए शिवपाल यादव ने अपने जिन कार्यकर्ताओं की मदद की और जिन्हें शिवपाल यादव पर भरोसा है, वह शिवपाल के आगमन पर उनका खैर मकदम करने के लिए अपनी ताकत झोंक रहे हैं.
शहर का कोई भी ऐसा चौराहा नहीं है जो शिवपाल यादव के स्वागत को लेकर पोस्टर बैनर से पटा न हो. चाहे किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह की अपनी तैयारी हो या लोहिया वाहिनी के प्रदेश सचिव धीरज गुप्ता की. पार्टी के जिला अध्यक्ष से लेकर पार्टी के अन्य पदाधिकारी हर जगह शिवपाल की उपस्थिति को लेकर अपनी तैयारी का एहसास गोरखपुरवासियों और विरोधियों को भी करा रहे हैं.
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शिवपाल इन सभी कार्यक्रमों के बाद देर शाम किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह के आवास जाएंगे. वह 11 नवंबर की रात गोरखपुर में ही रुकेंगे. 12 नवंबर को चौरीचौरा में भी उनका एक बड़ा कार्यक्रम है. इसमें वह जरूरतमंदों के बीच करीब 5000 कंबल वितरित करेंगे. शिवपाल का पूर्वांचल से काफी गहरा नाता है. पार्टी के कार्यकर्ता इसलिए शिवपाल की ताकत को कम नहीं होने देना चाहते. हालांकि गुरुवार की उनकी रैली और स्वागत सारे समीकरण को स्पष्ट कर देगी.